अखिल भारतीय मराठी साहित्य आंदोलन के प्रमुख केंद्र मराठी साहित्य मंडल की ओरसे इस वर्ष का साहित्य क्षेत्र का महत्वपूर्ण साहित्य भूषण पुरस्कार महाराष्ट्र के वाशिम जिल्हे की मिट्टी से जुड़ी मुंबई की युवा साहित्यकार रानी अमोल मोरे - उलेमाले के रानमोती काव्यसंग्रह को सातारा में हालही में सम्पन्न हुए तृतीय डा. बाबासाहेब आंबेडकर साहित्य सम्मेलन में प्रदान किया गया ।
इस साहित्य सम्मेलन का उध्दाटन वरिष्ठ विचारवंत राजरत्न आंबेडकर ने किया तथा सम्मेलन अध्यक्ष के रुप में सिक्कीम के पूर्व राज्यपाल तथा महान विचारक डा. श्रीनिवास पाटिल व स्वागताध्यक्ष वरिष्ठ विचारक एड. गौतम सरतापे उपस्थित थे तथा मुख्य अतिथि के रुप में पूर्व न्यायाधीश व वरिष्ठ विचारक रावसाहेब झोडगे, वरिष्ठ साहित्यिकार डा. जयप्रकाश घुमटकर, कवयित्री ललिता गवांदे, कवयित्री नीलीमा जोशी, लेखक विनायकराव जाधव उपस्थित थे ।
रानमोती वैसे तो वऱ्हाड वार विदर्भ पर्यटन पर आधारित काव्यसंग्रह के बाद आया रानी मोरे का दूसरा ही काव्य संग्रह है फिरभी जीवनावश्यक विषय पर बेहद गंभीर और निरागस रुप से भाष्य करनेवाला, अनावश्यक रुढ़ी प्रथाओं पर आघात करनेवाला, आधुनिक काल के मराठी काव्य क्षेत्र में विभाग निहाय प्रस्तुति करनेवाला, प्रिंट तथा डिजिटल प्लेटफार्म पर उपलब्ध पहला ही काव्य संग्रह होने से साहित्य भूषण पुरस्कार के लिए चुने जाने का प्रतिपादन वरिष्ठ साहित्यिकार तथा चयन समिति अध्यक्ष डा. जयप्रकाश घुमटकर ने स्पष्ट किया ।
पुरस्कार स्वीकारते समय रानी अमोल मोरे - उलेमाले ने मराठी साहित्य मंडल का आभार व्यक्त करते हुए दैनदिन मानवी जीवन के लिए उपयोगी और प्रगति के लिए जिम्मेदार साबित होनेवाली जीवन उपयोगी बातों पर लेख को मराठी साहित्य में भारी तादाद होने की बात स्पष्ट की । साथही महाराष्ट्र के साहित्य क्षेत्र को देशस्तर पर पुनर्जीवित करने के लिए प्रयास करने की बात भी कही