एक युग में देश था मेरा सोने की चिड़िया
दूसरे युग में कोहिनूर ले गई गोरी गुड़िया
कहा गया वो सोना और कहा गया वो नूर
एक था देश का धन तो दूसरा था दस्तूर
बस करो ऐ लुटेरों गुस्ताखी हमें नहीं मंजूर
राजाओं की मालाये सजती थी हिरे मोती से
गुरुओं की वाणी गूंजती सत्य वचनो से
कहा गए वो गुरु और कहा गए वो हीर
एक था देश का निर्माण दूसरा था जेवर
भाड़ोत्री शिक्षा प्रणाली अब क्यों है स्वीकार
विरो की गाथाये सुन खिलते थे फूल शान से
वचनबद्ध रहते थे लोग जीते थे अभिमान से
कहा गए वो वीर और कहा गए वो लोग
एक थे देश की रक्षा तो दूसरे थे नक्शा
क्यों लुटेरों को हमने नादानी में बक्शा
परोसती थी माँ भोजन जैसे अमृत की धारा``
अन्न ही परब्रम्ह यहाँ लगता था नारा
कहा गए वो नारे और कहा गया भोजन
एक अर्थ था संस्कार तो दूसरा था जीवन
क्यों चित्र विचित्र पिज़्ज़ा बर्गर का बना चलन
- रानमोती / Ranmoti