स्थलखंड का एक अंग
जल से घिरा चारो छोर
अलग-थलग मातृभूमि से
सागर में नर्तक मोर
शांति सुकून से संपन्न
क्रान्तिशूरों से भूमि पावन
गहरे वनों की गुफावों में
प्रकृती की आस राहों में
पेड, पौधे, पशु, पक्षी
आद्य सुंदरी कला नक्षी
जरावा, ओंगेस संग नेग्रि
नीलम तट और आग्नेयगिरि
गहरे पुष्प फल श्रीफल
प्रकृति की गोद निर्मल
सुंदरता की श्रेष्ठ पहल
अंडमान द्वीप एक चहल
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Friday, November 11, 2022
साक्षात्कार
पुराने नये साहित्य के कर्कट में खोजकर
सत्य से लथपथ मोतियों को चुनकर
नये साहित्य का प्रणयन कर
नई पिढी को नए मार्ग प्रदान कर
जो अनुभवो का साक्षात्कार हुआँ
उन्हींको साथ लेकर बढ़ना है
साक्षात्कार के विपरीत चलने से
कलियुग की अनुभुती निश्चित है
समय पुराना या नया नही होगा
सत्य पुराना या नया नहीं होगा
विद्युत का विपरीत प्रवाह होगा
बस गौर से परखना होगा
जीना जिवन है अगर पुरा जिया जाये
मृत्यू आनंद है अगर जीना छोड़ा जाये
मूढ़ ही है ज्ञानी जो आत्मघात कर लेता है
श्रेष्ठ है जड़ जो यन्तणा सह जी जाता है
- रानमोती / Ranmoti
जीवन संगिनी
रचके तुलसी चरणों में तेरे
हो गई पावन मै तो सांवरे
सुगंध ऐसा चढ़ा सांवरे को
जग भूल गया मनमोहन
मै ना राधा दिवानी
मै ना मीरा दिवानी
मै तू हूँ रुख्मिणी
तेरी जीवन संगिनी
तुलसी से तेरा संजोग दिन का
मीरा तो स्वर है अकेले मन का
प्रीत में राधा जैसे बजती पायल
सोच के मन मेरा होवे घायल
मै ना राधा दिवानी
मै ना मीरा दिवानी
मै तू हूँ रुख्मिणी
तेरी जीवन संगिनी
राधा तो तेरी बतिया कान्हा
मीरा भये पानी से नैना
सुख में राधा दुःख में राधा
मोहन जो धन तेरा अब हो रहा मेरा
मै ना राधा दिवानी
मै ना मीरा दिवानी
मै तू हूँ रुख्मिणी
तेरी जीवन संगिनी
- रानमोती / Ranmoti
कारीगिरी
तुम बस अपनी कारीगिरी पर ध्यान लगाना
तुम्हे अपना हुनर है आजमाना
भूल जाना दिन है या रात
डूब जाना अपने लक्ष के साथ
शिल्प कौशल की कला
हाथों में लेकर तू निकला
करुणा के साथ उतर जाना
नई धरोहर का परचम लहराना
हे कारागीर
तुम बस अपनी कारीगिरी पर ध्यान लगाना
तुम्हे अपना हुनर है आजमाना
प्रेम इतना भरना
की पत्थर भी जीवित हो उठे
खाकर तेरे अनगिनत घाव
सदा तुझ संग रहे डटे
अपनी चेतना को बनाकर हथियार
तू शिल्प पे उतार दे अनेक भाव
वो पत्थर सुन्दर मूरत बनकर जब सजे
रंगो से भरना उनमे प्राण
समर्पण तेरा इतना हो
उस मूरत में भी तेरी सूरत हो
तेरे हाथो के रक्त की एक एक बून्द
विभिन्न रंगो में समावेशित हो
रंग ऐसा चढ़ जाये उसपर
हर तरफ बस तेरी ही पुकार हो
हे कारागीर,
तेरी कारीगिरी अमर हो ऐसा जोर लगाना
तुम बस अपनी कारीगिरी पर ध्यान लगाना
तुम्हे अपना हुनर है आजमाना
मधुर वचना
करुणा से भरके खिले
दो कमल नयन
प्रेम की नदियों से छलके
दो मधुर वचन
वो कमल नयना
वो मधुर वचना
तू सुख का कारन
हर कष्ट निवारण
चंदा की रोशनी
है तेरी परछाइयाँ
गुलाबोंसी रंगीन
लाबों की पंखुड़ियाँ
वो कमल नयना
वो मधुर वचना
तू सुख का कारन
हर कष्ट निवारण
दुःख की झीलों में
खिलता चला
हाथो की रेखावों में
तारो सा सजता चला
अहोभाग्य का तू शिखर प्रभु
मैं नमन तेरे चरणों में देखु
वो कमल नयना
वो मधुर वचना
तू सुख का कारन
हर कष्ट निवारण
- रानमोती / Ranmoti
Wednesday, October 19, 2022
अतुल्य वाद्य
बंसी पूरी खाली खाली
फिर भी बोले मधुर बोली
ना तुझमें कोई गांठ है
ना कही भाये आठ है
बिन बजाये तू ना बजती
कृष्ण के सुन्दर होठो पे सजती
सांसो की फूँक बनकर
तुझमे विराजित खुद परमेश्वर
मधुर नाद तेरी निपुणता
तू निर्गुण तू ही सगुणता
तू सिखलाती जीवन आशा
तेरी मधुरता मदहोश निशा
ईश्वर जो तुझमे घोले
संगीत बन तू सृष्टि से बोले
तेरी चतुर निरंतर भाषा
जीवन पाये नई दिशा
तेरी कठोरता भी मंजूर है
तेरे कर्म जो ईश्वर के समीप है
है बासुरी तू एक अतुल्य वाद्य है
कृष्ण संग तेरा अदभुत मिलाप है
- रानमोती / Ranmoti
Thursday, September 1, 2022
शिउली
मानों मै शिउली का
रम्य प्रसन्न तटस्थ तरु
रचनाये मेरी उसके पुष्प
सुगंधित प्रभात करे शुरू
वो खिलकर मुझसे
लुढ़कते है जमींपर
सुन्दर मधुर सुरभि
महकाते है सृष्टिपर
कोई समेट हाथो में
सौरभ से भर जाता
तो कोई कुचल पैरोंतले
अनभिज्ञ अग्र निकल जाता
रचनाये फूल है मेरी
कभी ना करती भेद
हर किसी को महकाती
जैसे जीवन में वेद
उठाने वाले कुचलने वाले
दोनों को एहसास दिलाती
उनकी रास्तों में सजकर
मोतियों भाँति उन्हें सजती
सीधी साधी हलकी फुलकी
शिउली बन हुनर आजमाती
हंसती मुस्कुराती रचनाये मेरी
किसी-न-किसी मन को भाती
- रानमोती / Ranmoti
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