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Wednesday, August 17, 2022

कण कण कान्हा


स्मित निर्दोष ब्रम्हाण्ड व्यापक
सिद्ध समृद्ध आनंदमय ऊर्जा
मन मन स्थित कण कण कान्हा
मोरपंख श्रुत अलंकार कृत शृंगार
तू जीवन तू आदर्श तू ही उपकार
कर्णकुंडल नभमंडल तू यज्ञ सर्वज्ञ
नेत्र चक्षु मन भिक्षु तू रक्षु कान्हा 
हे निराकार कर उद्धार बन कगार
जग तेरा निकुंज तू माली नंद मुकुंद
नयन पंकज पुष्प प्रेमरस भरे
दर्शन मात्र मोक्ष भय सारे तू ही हरे
मन मन स्थित कण कण कान्हा

- रानमोती / Ranmoti

Monday, August 15, 2022

धरती

बिन बादल तरसे रे
मोती मोती बरसे रे
धरती तो जुडी हुई
अंबर संग मिली हुई

उसकी तो नियति रे
अंधियारे को क्षति रे
बिन सूरज नहीं रे
उजियाले की ख्याति रे

प्रकृति से खिली हुई
जीवन को फुलाती गई
उसकी तो नाव है
जीवन हुआ सवार है

यात्री वो इंसान है
जीना जिसका काम है
कर्मो को बांधो गले रे
ख़ुशी ख़ुशी चलो रे
- रानमोती / Ranmoti

Tuesday, August 9, 2022

सजदा

सजदा तुझे हे अंबर के खुदा
तू मेरे रोम रोम में बसे सदा
कितने जतन करू तुझे पाने के
कैसे अवसर धुंडु तुझमें समाने के
इन काली घटाओ से तुझको ताकू
तू मुझमें छुपा कैसे परिचित हूँ
दे सबूत तेरे होने का
बतलादे क्या कारन मेरे रोने का
सजदा तुझे हे अंबर के खुदा

कभी काली घटा कभी चमकता तारा
कब तक फिरू तेरे दर्शन का मारा
बता तू कहाँ खामोश है
तेरी पहेली इस प्यासे को सजा है
हे दयावान हे विश्वरचित
प्राण देह में अब हो विरचित
उससे पहले तू हो विदित कर प्रमित
सजदा तुझे हे अंबर के खुदा
तू मेरे रोम रोम में बसे सदा
- रानमोती / Ranmoti

Sunday, August 7, 2022

संचित

(भारतीय सेना के वीर जवानों को समर्पित)

थोड़ा वक्त है ?
तो ठहर जाओ
ह्रदय में संचित है
कुछ सुनते जाओ
जीवन के मेरे किस्से
अगर सुनना चाहो
भारत माता की जय
गीत गाते रहो
मै रखवाला हूँ देश का
दुश्मन ललकारे कहकर
अरे ऐ तिरंगेवाले भेस का
उसकी जुबाँ गुर्राकर बोली
दम है तो आगे बढ़
है वतन से मोहब्बत
तो ये खड़ा हिमालय चढ़
उसकी बात सुन
ज्वालासा भड़का मेरा क्रोध
पल में ही बन गया
मै नेताजी सुभाषचंद्र बोस
टूट पड़ा दुश्मनोपर
जैसे बम के गोले
याद दिलादी उन्हें
गब्बर की शोले
सीना मेरा झुका नही
क्रोध मेरा रुका नही
डर के मारे दुश्मन
दबके बैठा बिल में
भगत सिंह की कहानिया
भरी पड़ी मेरे दिल में
मै गिर के जंगल का
शेर बन ऐसा गरजा
सह्याद्रि के नागों सा
काटने दौड़ा
उत्तराखंड के बादलोंसा
धो धो बरसा
दुश्मनों को बहाकर
ले गया मन्दाकिनी की तरह
लाशों के ढ़ेर बिछा दिए
समशान घाट की तरह
दुश्मन मेरा पाकिस्तान
चीन चित्र विचित्र
पर मै भारत माँ का
सच्चा हूँ सुपुत्र
ये समंदर ये आसमान
है मेरे मित्र
चन्द्रगुप्त शिवराज
रगो रगो में चरित्र
आँखों में खून खौलता गया
दिलमें जोश भरता गया
मातृभूमि का जयजयकार
ना इससे बड़ा कोई अवसर
सुनकर मेरे वतन का नारा
टूटटूट कर दुश्मन हारा
तिरंगा मेरे हाथ में
हर क्रांतिवीर मेरे साथ में
फ़तेह कर झंडा मैंने
उनकी जमीनपर ऐसे गाड़ा
नापकों को ढ़ेर कर
वसूला मेरे भूमि का भाड़ा
जीत कर युद्ध को
बढ़ा दी देश की सरहद
अब बस इस जमीन पर
मेरे वतन की हुकूमत
मेरे वतन की हुकूमत
- रानमोती / Ranmoti

साहित्य


मेरी क़लम ही
मेरी चूड़ियाँ खनकती
उच्च विचार श्रवणीय
बालियाँ झूलती
अमृत वर्षा करनेवाले
मधुर मेरे शब्द
लाली का रूप लेकर
लबोंको सजाते है
बदलाव क्रांतिवाला
मेरा पोशाक
तन पर चढ़ते ही
अपना रंग जमाता है
हाँ मै वही
दिव्य नारी का रूप हूँ
जिसे समझने को
हर कोई बेताब है
कोई इतना आमिर कहाँ
मेरे शृंगार को समझ ले
कोई इतना दिव्य कहाँ
मेरे गुणों को परख ले
ना ये बाज़ार के
चौराहे पर बिकते है
ना ये साधारण
नज़रिए से दिखते है
अनन्य दृष्टी से
अंकुरित साहित्य है
समझ के परे
अंजन अपेक्षित है

- रानमोती / Ranmoti

मेरे सपने

आस के आरजू पर बुने हुए फूल
बहते हुए झरने की धाराएं कुल
रेशमी खुशियों के दामन वो गुल
इन्द्रधनु के सप्तरंग कहलाते
मेरे सपने

मधुर संगीत की तरह राहत भर जाते
निराशा के गुब्बारे तोड़ हवासे लहराते
नई उमंग नई शुरवात अंकित कर जाते
मै जहाँ भी रहूँ उस जहाँ ले जाते
मेरे सपने

कुसुम की सुगंध से नित्य महकते
नन्हे पाँव जमीं पर ऐसे थिरकते
कहानी को अंजाम तक ले जाते
पल में भंग कर रंग जमाते
मेरे सपने

मंजिल तक पहुँचाती सिढीयोंसे खरे
इच्छापूर्ति की अनुभूति से परे
राजमहलों की कहानी से घिरे
बिन प्याले मदिरा की नशा चढ़ाते
मेरे सपने

ना स्वस्त ना परास्त है पुकार
ना स्वार्थ ना द्वेष है हितकार
ना आकार ना उकार है निराकार
ना अंत ना आरंभ हो अनंत साकार
मेरे सपने
- रानमोती / Ranmoti

Thursday, August 4, 2022

कल्प कल्प

तू कल्प कल्प स्थित संगम है
तेरे सिवा जीवन वर्जित है
तोड़ के बंधन आना यही है
तेरे नाम परे संसार नहीं है

बन के मूरत ऐसे सजू रे
पैरो में पायल ऐसे गुंजू रे
नैनों में काजल ऐसे मलू रे
याद में तेरी पल पल गिनू रे

दर्पण का ना काम हो कान्हा
आँखों में देखू रूप सुहाना
तुझ संग जीवन मैंने माना
पधारों अब वक्त ना बिगोना

तू कल्प कल्प स्थित संगम है
तेरे सिवा जीवन वर्जित है

- रानमोती / Ranmoti

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