सजदा तुझे हे अंबर के खुदा
तू मेरे रोम रोम में बसे सदा
कितने जतन करू तुझे पाने के
कैसे अवसर धुंडु तुझमें समाने के
इन काली घटाओ से तुझको ताकू
तू मुझमें छुपा कैसे परिचित हूँ
दे सबूत तेरे होने का
बतलादे क्या कारन मेरे रोने का
सजदा तुझे हे अंबर के खुदा
कभी काली घटा कभी चमकता तारा
कब तक फिरू तेरे दर्शन का मारा
बता तू कहाँ खामोश है
तेरी पहेली इस प्यासे को सजा है
हे दयावान हे विश्वरचित
प्राण देह में अब हो विरचित
उससे पहले तू हो विदित कर प्रमित
सजदा तुझे हे अंबर के खुदा
तू मेरे रोम रोम में बसे सदा
- रानमोती / Ranmoti