Search This Blog

Wednesday, July 20, 2022

रंगीनियत


मेरे चेहरे की रंगीनियत से पूछो 
जिक्र से तेरे रंगीन हो जाती है 
वजह बस तेरे साथ होने की है 
वो और भी बेहतरीन हो जाती है
- रानमोती / Ranmoti

Tuesday, July 19, 2022

बेहोशी

कोण है जो तुझे इतना चढ़ा रहा है
चढ़ना ही है तो खुदके दम पर चढ़ 
किसी और के आवाजों की बेहोशी 
तुझपर ज्यादा देर तक नहीं रहेगी
- रानमोती / Ranmoti

परतो

परतो से बनी जमीन 
परतो से बना आसमा 
परतो से बने रास्ते 
परतो से बना जीवन 

- रानमोती / Ranmoti 

Friday, July 15, 2022

प्रकृति


ऐ काफिलों,
तुम क्या जानो मोल मेरा
मै तो तुम्हारी दुनिया ठुकरा दू
ये धरती मेरी,ये आसमा मेरा
हवा सी लहराके चलु
प्रकाश को रंगसा सजाकर
मै काली रात का
सूरज बन जाऊ
ज्वाला सी उबलू
सागर का जल पीकर
खुद को चट्टान बना दूँ
फिरभी फूलो सी सुन्दर होकर
दुनिया को मेहका दू
खुदका स्वीकार ही धर्म मेरा
करना पहचान हासिल कर्म मेरा
मृत्यंजय हो स्वाभिमान मेरा
कदापि ना हो अपमान मेरा
मै काल के परे काली
आदि अनंत माया
लक्ष्मी की लेकर काया
धन का मै स्त्रोत बनु
चिर के अज्ञान की छाया
ज्ञान की मै तलवार बनु
भटका मुसाफिर जल मांगे
उड़ता पक्षी घर मांगे
जिसने पा लिया मुझे
वो मेरे सिवा कुछ ना मांगे
मै प्रकृति जगत जननी
जीवन का उगमस्थान कहलाती हूँ
हे नारायण तुम क्या वर दोगे
मै खुद ही एक वरदान हूँ

- रानमोती / Ranmoti

यथार्थ

यथार्थ ने जकड़े पैर जमीनपर
स्वप्न ने खींचे हाथ आसमा तक
मनुष्य बन इतना सजग
ना कभी पैर उड़े स्वप्न के भाती
ना कभी स्वप्न को मान यथार्थ
तेरा रास्ता जमीन और आसमा के बिच का
तेरा रास्ता जीवन और मृत्यु के बिच का
तेरा रास्ता मानने और समझने के बिच का
तेरा रास्ता दार्शनिक और दृष्टा के बिच का
विचारो की मालाओ में दृष्टिकोण निर्मित है
दृष्टिकोण की मुक्ति से सत्यता पनपती है
सुंदरता सजग सरलता का रूप है
कठिन जटिल है अहंकार का स्वामी
मनुष्य जीवन दीपक ज्योति है
तेल बाती दिया तीनो का संगम है
यथार्थ स्वप्न कर्म का संयोग बनाकर
तू बने एक मिल का पत्थर
अमूर्त रूप सन्मानित होकर
तू नवनिर्मित का हो आविष्कार

- रानमोती / Ranmoti

Tuesday, July 12, 2022

सैरभैर प्रवाह

आसवांची सरिता सैरभैर प्रवाह
बेभान होऊनिया वाहते
सागरासंगे अजूनही दुरावा
तिला थांबवू नका भिंतींनो
क्रोधाने उफाळेल जलप्रवाह
नको संयमाची तिच्या परीक्षा
फुटतील बांध जलाशयाचे
वाट तिची कड्या-कपारींची
नाद आसवांचा चौफेर दाटला
अस्वस्थ मनाने चिरून पाषाणाला
सरितेची लगबग मिळाया सागराला
पुराने जाहला तिचा आसमंत
लांबच लांब अजूनही वाट घनदाट
आसवांची सरिता सैरभैर प्रवाह

- रानमोती / Ranmoti
   

बनू अजिंक्य..!

बनू अजिंक्य पताका गडाची 
आम्ही मराठी हाडा मासाची
सळसळत्या रक्त बाण्याची 
उडत उडत कुठवर जगायचे
आता जगणे आमुचे ध्येयाचे 
घे भरारी स्वप्ने बांधुनी उराशी 
एकीचे बळ धरू हात हाताशी
 बनू अजिंक्य पताका गडाची 
आम्ही बछडे या महाराष्ट्राची
खळखळ उसळत्या सागराची 
धमन्यात आमुच्या जयजयकार 
हृदयात निरंतर झंकार 
उघडत्या पापण्यांचे स्वप्न जिंकण्याचे 
माझे तुझे तिचे त्याचे सर्वांचे 

- रानमोती / Ranmoti




Recent Posts

तू राजा मी सेवक (Vol-2)

- रानमोती / Ranmoti

Most Popular Posts