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Tuesday, July 12, 2022

सैरभैर प्रवाह

आसवांची सरिता सैरभैर प्रवाह
बेभान होऊनिया वाहते
सागरासंगे अजूनही दुरावा
तिला थांबवू नका भिंतींनो
क्रोधाने उफाळेल जलप्रवाह
नको संयमाची तिच्या परीक्षा
फुटतील बांध जलाशयाचे
वाट तिची कड्या-कपारींची
नाद आसवांचा चौफेर दाटला
अस्वस्थ मनाने चिरून पाषाणाला
सरितेची लगबग मिळाया सागराला
पुराने जाहला तिचा आसमंत
लांबच लांब अजूनही वाट घनदाट
आसवांची सरिता सैरभैर प्रवाह

- रानमोती / Ranmoti
   

बनू अजिंक्य..!

बनू अजिंक्य पताका गडाची 
आम्ही मराठी हाडा मासाची
सळसळत्या रक्त बाण्याची 
उडत उडत कुठवर जगायचे
आता जगणे आमुचे ध्येयाचे 
घे भरारी स्वप्ने बांधुनी उराशी 
एकीचे बळ धरू हात हाताशी
 बनू अजिंक्य पताका गडाची 
आम्ही बछडे या महाराष्ट्राची
खळखळ उसळत्या सागराची 
धमन्यात आमुच्या जयजयकार 
हृदयात निरंतर झंकार 
उघडत्या पापण्यांचे स्वप्न जिंकण्याचे 
माझे तुझे तिचे त्याचे सर्वांचे 

- रानमोती / Ranmoti




मौजूद हूँ !

अभिमान की परिभाषा
सब कुछ होने का नशा
सबकुछ जानने का भाव
अहंकार कहलाता हूँ
अंधे मतवाले इंसान में
मौजूद हूँ !

एक नकारात्मकता
अप्रिय भावना
संभावित खतरे का आकलन
प्रत्याशा के कारन निर्माण हूँ
डर भय कहलाता हूँ
इंसाने के सूरत पर
मौजूद हूँ !

सुरक्षा की भावना
कमीपन का एहसास
क्रोध और घृणा का संयोजन
कोमल ह्रदय को
कठोर बनाती हूँ
ईर्ष्या कहलाती हूँ
मानवीय रिश्तों में
मौजूद हूँ !

कामना आपूर्ति से
उत्पन्न होता हूँ
मनुष्य का पतन कर
विनाश तक ले जाता हूँ
बुद्धि को भ्रमित कर
शत्रु बन जाता हूँ
क्रोध कहलाता हूँ
विवेकहीन व्यक्ति में
मौजूद हूँ !

- रानमोती / Ranmoti

Monday, July 11, 2022

आनंद गगनात...

पहाटे पहाटे, सूर्याचे किरण, भेटाया आले
रूपाने तुझ्या, बोलाया लागले,
सळसळत्या वाऱ्यातं
धुंद या गाण्यातं
पावसाच्या पाण्यातं
मन माझे प्रेमातं...
अन आनंद गगनातं...आनंद गगनात...

बाहेर वादळं, मनात विसावा
पौर्णिमेचा चंद्र, नयनी दिसावा
लखलखत्या ताऱ्यातं
फुलांच्या गंधातं
शांत काळोखातं
मन माझे प्रेमातं...
अन आनंद गगनातं...आनंद गगनात...

थरथरत्या लाटांनी, किनारे भिजावे
निसटत्या वाळूतून, शिंपले निघावे
मोत्याच्या शिंपल्यातं
सागराच्या पाण्यातं
न्हाव्याच्या होडीतं
मन माझे प्रेमातं...
अन आनंद गगनातं...आनंद गगनात...

मंद मंद दुपार, प्रकाश नादावली
सावलीत वृक्षांच्या, पाखरे गारावाली
उन्हांच्या झळातं
ऊसाच्या मळ्यातं
मातीच्या गाळातं
मन माझे प्रेमातं...
अन आनंद गगनातं...आनंद गगनात...

- रानमोती / Ranmoti

Monday, July 4, 2022

प्रकाश : विज्ञान और आध्यात्म


हम प्रकाश को देखते है, महसूस करते है, लेकिन आज हम उसे समझने की कोशिश करेंगे, जो हमारे इर्दगिर्द मौजूद है और जो हमारे भीतर भी लुप्त अवस्था में स्थापित है। खास कहे तो सूर्य के प्रकाश और इंसान के भीतर मौजूद आत्मप्रकाश को समझते है। विज्ञान की भाषा में अगर प्रकाश को समझा जाये तो, उसके क्या गुण है, उसे पहले जानने का प्रयास करते है। 
  1. प्रकाश दिखने में तो एक सफ़ेद किरण जैसी है। लेकिन उसे जब किसी पारदर्शक पिरामिड से पार किया जाये तो, उसके अंदर छिपे सात रंग उजागर होकर हमें रंगीन किरण दिखने लगती है।  
  2. प्रकाश की किरण हमेशा सीधी रेशा में भ्रमण करती है।  
  3. प्रकाश की गति ब्रम्हांड की सबसे तेज गति है।  
  4. प्रकाश एक तरंग है जो बिना किसी माध्यम के भी स्पेस यात्रा कर सकती है।   
ये सारे प्रकाश के गुण हमने वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझे । अगर हम आध्यात्म की भाषा में प्रकाश या प्रकाशमई इंसान इनकी व्याख्या और गुणों का अवलोकन करे तो हमें विज्ञान और आध्यात्म एक दूसरे की कसौटीपर उतारकर देखना होगा. 
  1. अगर कोई इंसान प्रकाशमई है या बुद्धत्व को प्राप्त है, तो वो सामान्य मनुष्य को तो देखने में वो एक साधारण सा एक जिव लगेगा। लेकिन महापुरुष को समझने के लिए हमें  पारदर्शक पिरामिड के दृष्टिकोण की आवश्यकता होगी तब जाकर हम उसके महानतम या प्रकाशमय गुणों को समझ सकेंगे।  
  2. बुद्धत्व को प्राप्त इंसान हमेशा सत्य के मार्ग की सीधी राह पर चलेगा प्रकाश की तरंग जैसा।  
  3. सिद्ध आत्मा के दिये भौतिक जीवन या शरीर में कोई भेद न देखकर वह सूक्ष्मतम शरीर की भाती सबको एक समान तरंग की तरह देखेगा और मानेगा। 
  4. जिसने अपने बुद्धि की सारे दरवाजे खोले है, वो सबसे गतिमान होगा, क्योंकि उसे रोकने या सोचने की कोई वजह ना होगी, वो हर चीज से वाकिब हो चूका होगा।  
  5. जहा यात्रा करने का कोई माध्यम (हवा, पानी या धातु) उपलब्ध नहीं होगा तब भी वो अपने आप को सबसे गतिमान यात्री पायेगा। विज्ञानं कीभाषा में हम उसे होलोग्राम  कहते है। 
इन सारी बातों का सारांश एक ही निकलता है, जहा प्रकाश है वहा उजियाला है। चाहे वो विज्ञानं हो या बुद्धत्व की ओर ले जानेवाला आध्यात्म हो। इन सभी जगहोंपर प्रकाश के गुण समान है। मतलब भौतिक विज्ञानं हर जगह परखा और समझा जा सकता है। इसीलिए विज्ञानं की सतह पर आध्यात्म को समझे तो कोई भी बात हवा में ना लगकर वास्तव दर्शन दिलाती है।  


- रानमोती / Ranmoti


Wednesday, June 29, 2022

सुर्खियां..

आजकल सुर्ख़ियों में झलक रही गद्दारी
सुना है जालिमो ने वाह वाह है बटोरी
सत्ता धन और बचाव के लालच में
जुल्म के गुलामी की हाथ ली कटोरी

बेबुनियाद वक्त बेदर्द बढ़ता गया
कोई खुर्सी से दुःख से उतर गया
तो कोई खुशी से ऊपर चढ़ता गया
लाचार जनता चुपचाप सहती रही
जिल्लत लगी नहीं बस घुटन बढ़ती गई
बारिश आई और भिगोंके चली गई

कब तक छुपोगे कर्मो से अपने
कब तक जिओगे झूठे सपने
एक दिन मौत बेरहम हो जाएगी
सत्ता ताकत एक संग जल जाएगी
बाकी रहेगी तो बस एक बात
सुर्खियां सुर्खियां सुर्खियां और बस
खुर्सियों की सुर्खियां

- रानमोती / Ranmoti

Sunday, June 26, 2022

कागजनामा



पैदा होते ही कागज पर आया
मृत्यु पश्चात् भी उतर ना पाया
जीवन सरल बनाने की कोशिश में
खुद ही कागज में उलझ गया

नियम इतने भारी भक्कम थे
याद कर के भी रख ना पाया
अवसर इतने लजीज थे
भूल भूल कर भी भूल ना पाया

कागज का सफ़ेद काला खेल
ख़ुशी से कभी ना खाता मेल
जीवन कागज के डिब्बे की रेल
सवार ना हो सका वो यात्री फेल

आंधी हो या तूफान सहता रहा घाव
जीवन सागर तो कागज नाँव
जो चल सका उसका बेडा पार
जो रुक गया उसकी नैय्या दरकिनार

- रानमोती / Ranmoti

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- रानमोती / Ranmoti

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