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Monday, July 4, 2022

प्रकाश : विज्ञान और आध्यात्म


हम प्रकाश को देखते है, महसूस करते है, लेकिन आज हम उसे समझने की कोशिश करेंगे, जो हमारे इर्दगिर्द मौजूद है और जो हमारे भीतर भी लुप्त अवस्था में स्थापित है। खास कहे तो सूर्य के प्रकाश और इंसान के भीतर मौजूद आत्मप्रकाश को समझते है। विज्ञान की भाषा में अगर प्रकाश को समझा जाये तो, उसके क्या गुण है, उसे पहले जानने का प्रयास करते है। 
  1. प्रकाश दिखने में तो एक सफ़ेद किरण जैसी है। लेकिन उसे जब किसी पारदर्शक पिरामिड से पार किया जाये तो, उसके अंदर छिपे सात रंग उजागर होकर हमें रंगीन किरण दिखने लगती है।  
  2. प्रकाश की किरण हमेशा सीधी रेशा में भ्रमण करती है।  
  3. प्रकाश की गति ब्रम्हांड की सबसे तेज गति है।  
  4. प्रकाश एक तरंग है जो बिना किसी माध्यम के भी स्पेस यात्रा कर सकती है।   
ये सारे प्रकाश के गुण हमने वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझे । अगर हम आध्यात्म की भाषा में प्रकाश या प्रकाशमई इंसान इनकी व्याख्या और गुणों का अवलोकन करे तो हमें विज्ञान और आध्यात्म एक दूसरे की कसौटीपर उतारकर देखना होगा. 
  1. अगर कोई इंसान प्रकाशमई है या बुद्धत्व को प्राप्त है, तो वो सामान्य मनुष्य को तो देखने में वो एक साधारण सा एक जिव लगेगा। लेकिन महापुरुष को समझने के लिए हमें  पारदर्शक पिरामिड के दृष्टिकोण की आवश्यकता होगी तब जाकर हम उसके महानतम या प्रकाशमय गुणों को समझ सकेंगे।  
  2. बुद्धत्व को प्राप्त इंसान हमेशा सत्य के मार्ग की सीधी राह पर चलेगा प्रकाश की तरंग जैसा।  
  3. सिद्ध आत्मा के दिये भौतिक जीवन या शरीर में कोई भेद न देखकर वह सूक्ष्मतम शरीर की भाती सबको एक समान तरंग की तरह देखेगा और मानेगा। 
  4. जिसने अपने बुद्धि की सारे दरवाजे खोले है, वो सबसे गतिमान होगा, क्योंकि उसे रोकने या सोचने की कोई वजह ना होगी, वो हर चीज से वाकिब हो चूका होगा।  
  5. जहा यात्रा करने का कोई माध्यम (हवा, पानी या धातु) उपलब्ध नहीं होगा तब भी वो अपने आप को सबसे गतिमान यात्री पायेगा। विज्ञानं कीभाषा में हम उसे होलोग्राम  कहते है। 
इन सारी बातों का सारांश एक ही निकलता है, जहा प्रकाश है वहा उजियाला है। चाहे वो विज्ञानं हो या बुद्धत्व की ओर ले जानेवाला आध्यात्म हो। इन सभी जगहोंपर प्रकाश के गुण समान है। मतलब भौतिक विज्ञानं हर जगह परखा और समझा जा सकता है। इसीलिए विज्ञानं की सतह पर आध्यात्म को समझे तो कोई भी बात हवा में ना लगकर वास्तव दर्शन दिलाती है।  


- रानमोती / Ranmoti


Wednesday, June 29, 2022

सुर्खियां..

आजकल सुर्ख़ियों में झलक रही गद्दारी
सुना है जालिमो ने वाह वाह है बटोरी
सत्ता धन और बचाव के लालच में
जुल्म के गुलामी की हाथ ली कटोरी

बेबुनियाद वक्त बेदर्द बढ़ता गया
कोई खुर्सी से दुःख से उतर गया
तो कोई खुशी से ऊपर चढ़ता गया
लाचार जनता चुपचाप सहती रही
जिल्लत लगी नहीं बस घुटन बढ़ती गई
बारिश आई और भिगोंके चली गई

कब तक छुपोगे कर्मो से अपने
कब तक जिओगे झूठे सपने
एक दिन मौत बेरहम हो जाएगी
सत्ता ताकत एक संग जल जाएगी
बाकी रहेगी तो बस एक बात
सुर्खियां सुर्खियां सुर्खियां और बस
खुर्सियों की सुर्खियां

- रानमोती / Ranmoti

Sunday, June 26, 2022

कागजनामा



पैदा होते ही कागज पर आया
मृत्यु पश्चात् भी उतर ना पाया
जीवन सरल बनाने की कोशिश में
खुद ही कागज में उलझ गया

नियम इतने भारी भक्कम थे
याद कर के भी रख ना पाया
अवसर इतने लजीज थे
भूल भूल कर भी भूल ना पाया

कागज का सफ़ेद काला खेल
ख़ुशी से कभी ना खाता मेल
जीवन कागज के डिब्बे की रेल
सवार ना हो सका वो यात्री फेल

आंधी हो या तूफान सहता रहा घाव
जीवन सागर तो कागज नाँव
जो चल सका उसका बेडा पार
जो रुक गया उसकी नैय्या दरकिनार

- रानमोती / Ranmoti

Wednesday, June 8, 2022

तू रूप शब्द का

तू रूप शब्द का
इस कदर सजा दू
तू जीवन सात रंग का
रंगने की वजह दू
तेरी अनकही सी कहानी
कलम उसे बना दू
तेरी रुकी हुई तलवार
धार उसे लगा दू
तू वंश राजहंस का
पहचान तुझे दिला दू
तू बहती हुई अखंड धारा
तुझे सागर से मिला दू
तेरे खिलते आँखों के सपने
हकीकत उसे बना दू
तू रूप शब्द का
इस कदर सजा दू
- रानमोती / Ranmoti

Tuesday, June 7, 2022

विजयी हो..

 



धरा पर तेरी ही विजय का,
जय जयकार हो
तू इच्छा पूर्तिका
अखंड स्त्रोत बने
यही जन-जन जीवन की
मनोकामना हो
विजयी हो, विजयी हो, विजयी हो.....

पवित्र निर्मल चरित्र की
तू मिसाल हो
सागर सा विराट
सूर्य सा प्रखर तेज बने
विद्वान् भी दर्शन ले
वो तू मूरत हो
धरा पर तेरी ही विजय का
महाप्रलय हो
विजयी हो, विजयी हो, विजयी हो

मुस्कान से तेरे मिटे दुःख
सुख की अनुभूति हो
कुबेर से परे धनवान
तेरा साम्राज्य बने
हर कोई सुनना चाहे
वो तू पुकार हो
धरा पर तेरी ही विजय की
मनोधारणा हो
विजयी हो, विजयी हो, विजयी हो

निष्काम कर्म से चेहरा तेरा
अधोरेखित हो
तू बने किरण होने की
ना होने की
कोई वजह ना हो
हर दिल को पसंद आये
वो तू मोहब्बत हो
धरा पर तू ही परमसत्य
बस यही, सन्मान हो
विजयी हो, विजयी हो, विजयी हो

- रानमोती / Ranmoti

Tuesday, May 3, 2022

सम्राट


तपता सोना काया धारी
अदम्य साहस सीना ताने
शांत स्वरुप एकाग्र चित्त
बुद्धि चातुर्य का वो नाथ
चंद्र चंद्र गगन करता नाद
मौर्य चन्द्रगुप्त सम्राट
जय मौर्य चन्द्रगुप्त सम्राट


किलकारी असीम वीरता की
अखंड सोच की तलवार
समर्पण का है वो द्योता
कभी ना झुका उसका माथा
काल का जो कपाल चीरता
नियति का भी खेल बदलता
चंद्र चंद्र गगन करता नाद
मौर्य चन्द्रगुप्त सम्राट
जय मौर्य चन्द्रगुप्त सम्राट

उसके पदचिन्ह की धूल
उड़ेगी बनकर तूफान
कोई न टकरा पायेगा
वह फिर से सजकर आएगा
आँखों में भविष्य के फूल खिलेंगे
भारतवर्ष को अपने सम्राट मिलेंगे
संगम का वह उत्सव होगा
स्वरगीतपर एक ही नाम होगा
चंद्र चंद्र गगन करता नाद
मौर्य चन्द्रगुप्त सम्राट
जय मौर्य चन्द्रगुप्त सम्राट

फिर से सरिताए बहेगी खुशी से
अभिषेक होगा पावन तीर्थ से
फूलो की वरमाला लेकर खड़े
रहेंगे सब एक होकर जुड़े
शब्द बनेंगे उसकी मुस्कान
लौटेगी खुशयाली की शान
प्रजा करेगी सुख से राज
सृष्टि में प्रिय राजाधिराज
चंद्र चंद्र गगन करता नाद
मौर्य चन्द्रगुप्त सम्राट
जय मौर्य चन्द्रगुप्त सम्राट

- रानमोती / Ranmoti

Saturday, April 23, 2022

इत्मीनान से

देखो कोई जल्दबाजी मत करना
चीजों को ध्यान से परखना
फिर उसपर विचार विमर्श करना
अनुभव की कसोटी से समझकर
अपनी सोच की धरोहर प्रकट करना
मगर इत्मीनान से

विचारोंकी धारावोंसे निर्णय जन्म लेते है
निर्णय के बहाव में जीवन बहता जाता है
सुख दुःख के कंकरोसे नदी रूप लेती है
कभी महापुर तो कभी सुखी रह जाती है
जीवन सागर को मिलने से पहले
तुम अपने हर रूप का आनंद लेना
मगर इत्मीनान से

कुछ पाने और खोने का एहसास
सिर्फ शांति में ही समझना
क्योंकि तेज धारावोमें सब बह जाता है
जहा बहाव शांत होता है
वही जीवन फूलता है
जीवन मुफ्त में मिला ईश्वरी दान है
कभी जो ना दिखे उसे भी शुक्रिया कहना
मगर इत्मीनान से

अगर संसार के तुम स्वामी ना बन सके
तो कुछ ना कुछ बन ही जाओगे
अपने परिश्रम के जोर पर
जिंदगी की दौड़ जित ही जाओगे
भागते भागते कभी थक भी गए
तब अपनी थकान मिटा ने के लिए
तुम विश्राम जरुर करना
मगर इत्मीनान से

- रानमोती / Ranmoti

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- रानमोती / Ranmoti

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