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Wednesday, June 8, 2022
तू रूप शब्द का
Tuesday, June 7, 2022
विजयी हो..
जय जयकार हो
तू इच्छा पूर्तिका
अखंड स्त्रोत बने
यही जन-जन जीवन की
मनोकामना हो
विजयी हो, विजयी हो, विजयी हो.....
पवित्र निर्मल चरित्र की
तू मिसाल हो
सागर सा विराट
सूर्य सा प्रखर तेज बने
विद्वान् भी दर्शन ले
वो तू मूरत हो
धरा पर तेरी ही विजय का
महाप्रलय हो
विजयी हो, विजयी हो, विजयी हो
मुस्कान से तेरे मिटे दुःख
सुख की अनुभूति हो
कुबेर से परे धनवान
तेरा साम्राज्य बने
हर कोई सुनना चाहे
वो तू पुकार हो
धरा पर तेरी ही विजय की
मनोधारणा हो
विजयी हो, विजयी हो, विजयी हो
निष्काम कर्म से चेहरा तेरा
अधोरेखित हो
तू बने किरण होने की
ना होने की
कोई वजह ना हो
हर दिल को पसंद आये
वो तू मोहब्बत हो
धरा पर तू ही परमसत्य
बस यही, सन्मान हो
विजयी हो, विजयी हो, विजयी हो
- रानमोती / Ranmoti
Tuesday, May 3, 2022
सम्राट
तपता सोना काया धारी
अदम्य साहस सीना ताने
शांत स्वरुप एकाग्र चित्त
बुद्धि चातुर्य का वो नाथ
चंद्र चंद्र गगन करता नाद
मौर्य चन्द्रगुप्त सम्राट
जय मौर्य चन्द्रगुप्त सम्राट
किलकारी असीम वीरता की
अखंड सोच की तलवार
समर्पण का है वो द्योता
कभी ना झुका उसका माथा
काल का जो कपाल चीरता
नियति का भी खेल बदलता
चंद्र चंद्र गगन करता नाद
मौर्य चन्द्रगुप्त सम्राट
जय मौर्य चन्द्रगुप्त सम्राट
उसके पदचिन्ह की धूल
उड़ेगी बनकर तूफान
कोई न टकरा पायेगा
वह फिर से सजकर आएगा
आँखों में भविष्य के फूल खिलेंगे
भारतवर्ष को अपने सम्राट मिलेंगे
संगम का वह उत्सव होगा
स्वरगीतपर एक ही नाम होगा
चंद्र चंद्र गगन करता नाद
मौर्य चन्द्रगुप्त सम्राट
जय मौर्य चन्द्रगुप्त सम्राट
फिर से सरिताए बहेगी खुशी से
अभिषेक होगा पावन तीर्थ से
फूलो की वरमाला लेकर खड़े
रहेंगे सब एक होकर जुड़े
शब्द बनेंगे उसकी मुस्कान
लौटेगी खुशयाली की शान
प्रजा करेगी सुख से राज
सृष्टि में प्रिय राजाधिराज
चंद्र चंद्र गगन करता नाद
मौर्य चन्द्रगुप्त सम्राट
जय मौर्य चन्द्रगुप्त सम्राट
- रानमोती / Ranmoti
Saturday, April 23, 2022
इत्मीनान से
चीजों को ध्यान से परखना
फिर उसपर विचार विमर्श करना
अनुभव की कसोटी से समझकर
अपनी सोच की धरोहर प्रकट करना
मगर इत्मीनान से
विचारोंकी धारावोंसे निर्णय जन्म लेते है
निर्णय के बहाव में जीवन बहता जाता है
सुख दुःख के कंकरोसे नदी रूप लेती है
कभी महापुर तो कभी सुखी रह जाती है
जीवन सागर को मिलने से पहले
तुम अपने हर रूप का आनंद लेना
मगर इत्मीनान से
कुछ पाने और खोने का एहसास
सिर्फ शांति में ही समझना
क्योंकि तेज धारावोमें सब बह जाता है
जहा बहाव शांत होता है
वही जीवन फूलता है
जीवन मुफ्त में मिला ईश्वरी दान है
कभी जो ना दिखे उसे भी शुक्रिया कहना
मगर इत्मीनान से
अगर संसार के तुम स्वामी ना बन सके
तो कुछ ना कुछ बन ही जाओगे
अपने परिश्रम के जोर पर
जिंदगी की दौड़ जित ही जाओगे
भागते भागते कभी थक भी गए
तब अपनी थकान मिटा ने के लिए
तुम विश्राम जरुर करना
मगर इत्मीनान से
- रानमोती / Ranmoti
Wednesday, December 8, 2021
धूसर वाटा
कधीतरी ह्या धूसर वाटा
अलगद मोडून जातील
आजच्या ओल्या पाऊल खुणा
उद्याच्या उन्हात सुकून जातील
कालच्या जगण्याच्या आठवणी
मनाच्या खळग्यात कुजून जातील
जगण्याला अर्थ मिळो ना मिळो
माणसे मात्र अशीच जगून जातील
झेप महत्वकांक्षी इतकी मोठी
पार क्षितिजेही संपून जातील
टणक डांबरी रस्ते
वाड्या पाड्या पिंजून जातील
म्हातारी मायबाप दोन पैश्यांसाठी
पाय घासत संपून जातील
उनाड तरुणाई शान शोकापायी
सुसाट गाड्या उडवित जातील
भिन्न दोन मतांचा अलिप्त ओघळ
शांत स्वरात वाहत जाईल
सुख दुःखाच्या सुंदर दालनात
जीवन निरंतर श्वास घेत जाईल
कधीतरी ह्या धूसर वाटा
अलगद मोडून जातील
जगण्याचा अर्थ कळो ना कळो
हे निराकार
हे निराकार ले आकार हो साकार
तु मित्र बन चित्र देख सखे मेरे नेत्र
तु सुप्त तु गुप्त मै तृप्त कर मुक्त
तु निवास तु आवास तु विकास
तु प्रार्थना तु साधना तु आराधना
तु कर्म तु मर्म तु धर्म
तु श्वास तु ध्यास तु उपवास
तु शांती तु भ्रांती तु विश्रांती
तु भव्य तु काव्य तु दिव्य
तु समाधान तु वरदान तु गुप्तदान
तु सम्मान तु अरमान तु प्रमाण
तु आधार तु उदार तु साक्षात्कार
तु धैर्य तु शौर्य तु सुर्य
तु युध्द तु शुध्द तु बुद्ध
तु क्षण तु कण तु मन
तु आरंभ तु स्तंभ तु जगदंब
तु अभिलाषा तु विलाषा तु आशा
तु फल तु निर्मल तु कमल
तु स्थापना तु कामना तु सामना
हे निराकार ले आकार हो साकार
- रानमोती / Ranmoti
Monday, December 6, 2021
ज्ञानमोती
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