Search This Blog

Wednesday, November 24, 2021

रानमोती काव्यसंग्रह को “साहित्य भूषण” पुरस्कार


अखिल भारतीय मराठी साहित्य आंदोलन के प्रमुख केंद्र मराठी साहित्य मंडल की ओरसे इस वर्ष का साहित्य क्षेत्र का महत्वपूर्ण साहित्य भूषण पुरस्कार महाराष्ट्र के वाशिम जिल्हे की मिट्टी से जुड़ी मुंबई की युवा साहित्यकार रानी अमोल मोरे - उलेमाले के रानमोती काव्यसंग्रह को सातारा में हालही में सम्पन्न हुए तृतीय डा. बाबासाहेब आंबेडकर साहित्य सम्मेलन में प्रदान किया गया । 

इस साहित्य सम्मेलन का उध्दाटन वरिष्ठ विचारवंत राजरत्न आंबेडकर ने किया तथा सम्मेलन अध्यक्ष के रुप में सिक्कीम के पूर्व राज्यपाल तथा महान विचारक डा. श्रीनिवास पाटिल व स्वागताध्यक्ष वरिष्ठ विचारक एड. गौतम सरतापे उपस्थित थे तथा मुख्य अतिथि के रुप में पूर्व न्यायाधीश व वरिष्ठ विचारक रावसाहेब झोडगे, वरिष्ठ साहित्यिकार डा. जयप्रकाश घुमटकर, कवयित्री ललिता गवांदे, कवयित्री नीलीमा जोशी, लेखक विनायकराव जाधव उपस्थित थे । 

रानमोती वैसे तो वऱ्हाड वार विदर्भ पर्यटन पर आधारित काव्यसंग्रह के बाद आया रानी मोरे का दूसरा ही काव्य संग्रह है फिरभी जीवनावश्यक विषय पर बेहद गंभीर और निरागस रुप से भाष्य करनेवाला, अनावश्यक रुढ़ी प्रथाओं पर आघात करनेवाला, आ‍धुनिक काल के मराठी काव्य क्षेत्र में विभाग निहाय प्रस्तुति करनेवाला, प्रिंट तथा डिजिटल प्लेटफार्म पर उपलब्ध पहला ही काव्य संग्रह होने से साहित्य भूषण पुरस्कार के लिए चुने जाने का प्रतिपादन वरिष्ठ साहित्यिकार तथा चयन समिति अध्यक्ष डा. जयप्रकाश घुमटकर ने स्पष्ट किया । 

पुरस्कार स्वीकारते समय रानी अमोल मोरे - उलेमाले ने मराठी साहित्य मंडल का आभार व्यक्त करते हुए दैनदिन मानवी जीवन के लिए उपयोगी और प्रगति के लिए जिम्मेदार साबित होनेवाली जीवन उपयोगी बातों पर लेख को मराठी साहित्य में भारी तादाद होने की बात स्पष्ट की । साथही महाराष्ट्र के साहित्य क्षेत्र को देशस्तर पर पुनर्जीवित करने के लिए प्रयास करने की बात भी कही 


****************************************




Friday, November 19, 2021

'रानमोती' काव्यसंग्रहास मराठी साहित्य मंडळाचा “साहित्य भूषण” पुरस्कार


अखिल भारतीय मराठी साहित्य चळवळीचे प्रमुख केंद्र असलेल्या मराठी साहित्य मंडळाच्या वतीने यावर्षीचा साहित्य क्षेत्रातील मानाचा समजला जाणारा "साहित्य भूषण" पुरस्कार विदर्भातील वाशिमच्या मातीशी नाळ असलेल्या मुंबईच्या युवा साहित्यिका राणी अमोल मोरे - उलेमाले यांच्या "रानमोती" काव्यसंग्रहास म्हसवड जिल्हा सातारा येथे शुक्रवार, दिनांक १९ नोव्हेम्बर २०२१ रोजी आयोजित तिसऱ्या डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर साहित्य संमेलनात प्रदान करण्यात आला. 

सदर, साहित्य संमेलनाचे उद्घाटन ज्येष्ठ विचारवंत मा. राजरत्न आंबेडकर यांनी केले तर संमेलनाध्यक्ष म्हणून सिक्कीमचे माजी राज्यपाल व थोर विचारवंत डॉ. श्रीनिवास पाटील व स्वागताध्यक्ष ज्येष्ठ विचारवंत ऍड. गौतम सरतापे यांनी भूमिका बजावली. सदर साहित्य संमेलनास मुख्य अतिथी माजी न्यायाधीश व ज्येष्ठ विचारवंत रावसाहेब झोडगे, ज्येष्ठ साहित्यिक डॉ. जयप्रकाश घुमटकर, कवियत्री ललिता गवांदे, कवियत्री नीलिमा जोशी, लेखक विनायकराव जाधव यांची उपस्थिती होती. 

“रानमोती” हा तसा “वऱ्हाड वारं” या विदर्भ पर्यटनावर आधारित काव्यसंग्रहानंतर आलेला राणी मोरे यांचा दुसराच काव्यसंग्रह असून देखील जीवन आवश्यक विषयावर अतिशय गंभीर व निरागसपणे भाष्य करणारा, अनाठाई रूढी प्रथांचा नकळत चिमटा काढणारा, आधुनिक काळातील मराठी काव्य क्षेत्रात विभागनिहाय मांडणी केलेला, प्रिंट तसेच डिजिटल प्लॅटफॉर्मवर उपलब्ध असलेला पहिलाच काव्यसंग्रह असल्याने "साहित्य भूषण" पुरस्कारासाठी निवडला गेला असल्याचे मत ज्येष्ठ साहित्यिक तथा निवड समितीचे अध्यक्ष डॉ. जयप्रकाश घुमटकर यांनी स्पष्ट केले. 

पुरस्कार स्वीकारल्यानंतर बोलतांना राणी अमोल मोरे-उलेमाले यांनी मराठी साहित्य मंडळाचे आभार व्यक्त करीत दैनदिन मानवी जीवनास उपयोगी व प्रगतीस कारणीभूत ठरणाऱ्या जीवन उपयोगी बाबींवर लिखाणास मराठी साहित्यात प्रचंड वाव असल्याचे स्पष्ट केले. तसेच  विदर्भातील साहित्य क्षेत्राला राज्य व देश पातळीवर पुनर्जीवित करण्यासाठी आपण प्रयत्न करणार असल्याचे सांगितले. साहित्य क्षेत्रा व्यतिरिक्त राणी ह्या विदर्भातील गरजू लोकांना मुंबईत राहण्याची व्यवस्था करणाऱ्या विदर्भ वैभव मंदिर न्यासाच्या विश्वस्त असून कृषी व्यवसाय क्षेत्रात कार्यरत आहेत. कोरोना काळात त्यांनी मुंबईत तथा राज्याबाहेर अडकलेल्या बऱ्याच गरजू विदर्भियांना परत प्रवासासाठी मदत केली. तसेच सर्व सामन्यांच्या प्रश्नावर त्यांच्या लेखणीतून त्या परखड मत मांडत असतात. त्यांच्या साहित्य, सामाजिक व सांस्कुतिक अशा अष्टपैलू व्यक्तिमत्वामुळे सर्वच स्तरातून त्यांच्यावर शुभेच्छांचा वर्षाव होत आहे.


************************************

Tuesday, November 2, 2021

मैं भारत

मैं भारत आज कहता हूँ आपसे इस गगन से
मैं भारत वो नही जिसे दिखाया जा रहा है
मैं भारत वो हूँ जिसे छुपाया जा रहा है
धरती के उपर मुझे सजाया नही जाता है
दफन जो मुझे सदियोंसे किया जा रहा है

मैं भारत आज कहता हूँ आपसे इस गगन से
मैं भारत जिसे सदियोंसे दुश्मनोने लुटा
मैं भारत जिसकी जमीन को टुकड़ो में काटा
मैं भारत जिसकी निशानियों को गैरो ने बांटा
मैं भारत जिसका धैर्य कठोर कभी नहीं टुटा

मैं भारत आज पूंछता हूँ आपसे इस गगन से
मैं अखंड था उसे खंडित किसने किया
समानता रक्त मेरा विषम किसने किया
धन का पिटारा मेरा निर्धन किसने किया
श्रमणता पथ मेरा विचलित किसने किया

मैं भारत आज पूंछता हूँ आपसे इस गगन से
मैं आदि अनादि मुझे पिछडा किसने किया
मैं पवित्र निर्मल गंगा मुझे अछूत किसने किया
मैं विद्या का उगम मुझे अनाडी किसने किया
मैं सर्वजन सुखाय मुझे धर्मस्य द्रष्टा किसने किया

मैं भारत आज पूंछता हूँ आपसे इस गगन से
क्यों शत्रुओंने मेरी अस्मिता को मुझसे छिना
क्यों दुश्मनोने मेरी धरती को अपना माना
क्यों पाखंडियोंने मेरे सत्यधर्म को किया निशाना
क्यों मैं आज जात पंथ कपट का बना ठिकाना

मैं भारत आज कहता हूँ आपसे इस गगन से
मैं शांत दयालु हूँ क्रूर विचलीत नहीं
मैं ध्यानमग्न हुँ अधीन किसीके कदापि नहीं
मैं पार्थ निःस्वार्थी हूँ स्वार्थी अभिमानी नहीं
मैं वीर पराक्रमी हूँ कायर परास्त नहीं

मैं भारत आज कहता हूँ आपसे इस गगन से
मैं धरोहर हूँ विश्वास की अविश्वास का पात्र नहीं
मैं चेतना हूँ जीवन की चिंता की चकोरी नहीं
मैं मिसाल हूँ इंसानियत की क्रूरता की विकृति नहीं
मैं सत्य की ज्योत हूँ असत्य से कलंकित नहीं

मैं भारत आज प्रण लेता हूँ खुदसे इस पल से
मैं भारत मुझे अब ढूंढ़ना मेरा अस्तित्व है
मैं भारत मुझे अब सवांरना मेरा कर्तुत्व है
मैं भारत मुझे अब सत्य का डंका बजाना है
मैं भारत मुझे अब सर्वोपरि आगे बढ़ना है

- रानमोती / Ranmoti

 



 

 

 

 

Tuesday, October 26, 2021

राजन्य

 
 
तुझे सुशोभित करके सृष्टीने
खुदको नवाजा हिरे मोती से
तू चिंगारी है जीवन शांती की
नमन है राजन्य तेजोमय धरती से

अनंत प्रफुल्लित विशालता
शायद कोई ना माप सका
तुही सच्चा ईश्वर धरतीपर
इन्सान ना कोई जान सका

तेरे हर बात का प्रत्यय है
शंका की कोई जगह नही
तुने जो बताया वो सत्य है
कुछ और सोचने की वज़ह नही

तु निरंतर स्थिर कृतीशील है
सर्व समायोजित तेरे पंचशील है
श्रद्धा स्थान पर तुही प्रस्थापित है
बदले नाम पर मूर्तिस्वरूप तुही है

त्रिदेव बन तुही अवतरीत होता है
ज्ञान तेरा हर काल मे भाता है
तु जमीन के अंदर सुरक्षित है
तुही भारत था ये अब सुनिश्चित है

राजीवपद से धरती तीर्थरुप है
तु एक ही है जिसे खोजा जा सकता है
बाकियो को तो बस चिरकाल
कल्पना मे सोचा जा सकता है

- रानमोती / Ranmoti




 
 

गुरु ज्ञान तेरा वरदान

गुरु ज्ञान तेरा वरदान
हो जाये मंगल ध्यान
मै ना जानू परमात्मा
गुरु तुही बना आत्मा
आशीष तेरा कर दे पावन
स्थिर बने दे चंचल मन
गुरु ज्ञान तेरा वरदान
हो जाये मंगल ध्यान

धरा पर नन्हे बालक सारे
कल बनेंगे आसमाँ के तारे
सीख का तेरी करके जतन
बनाएंगे खुशियाल ये वतन
गुरु ज्ञान तेरा वरदान
हो जाये मंगल ध्यान

******

- रानमोती / Ranmoti


Friday, June 25, 2021

रास्तें है खुले हुए


रास्तें है खुले हुए
मंजिलो से जुड़े हुए
कुछ इरादों से बुने हुए
कुछ पत्थरों से घिरे हुए

चलने को पैर भी तैयार है
चलो कहने का इंतजार है
अफ़सोस तो कुछ नहीं है
बस शुरवात का मंजर है

आखिर पहुंचना होगा
खुद को तराशना होगा
राह देखकर कुछ न होगा
मंजिलो को पास लाना होगा

साथ मिला तो चलते रहो
कोई छूटा तो भूलते रहो
बस इरादों में हौसला भरते रहो
जीवन का समां बांधते रहो 

- रानमोती / Ranmoti


 

Recent Posts

तू राजा मी सेवक (Vol-2)

- रानमोती / Ranmoti

Most Popular Posts