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Saturday, August 1, 2020

..जात लेकराची



जिरवून हात पाय, दमतात बाप माय
सोडूनी दूर जाय, जात लेकराची

देऊनी जन्म नाव, सहतात किती घाव
कूणा नसे ठाव, कात लेकराची

आटवून रक्त जाय, बनतात दूध साय
नासुनी दूर जाय, जात लेकराची

घडवुनी मूर्ती छान, देतात सर्व दान
ना ठेवती भान, कात लेकराची

जागुनी स्वप्न दावी, घडवतात रत्न भावी
जातात दूर गावी, जात लेकराची

येवून एकदा जाय, रडतात बाप माय
जोडून हात पाय, दे साथ लेकराची


Friday, July 31, 2020

दोस्त..?


दोस्त एंटरटेनमेंट है आपके तनाव का
दोस्त एक्सपीरियंस है आपके साथ का
दोस्त डिटेक्टर है आपकी बुराई का
दोस्त पैरामीटर हे आपके बर्ताव का

दोस्त प्रेसेंटर है आपकी खूबियों का
दोस्त सिलेक्टर है आपकी पसंद का
दोस्त एक्सेलेटर है आपकी प्रगति का
दोस्त ब्रेकर है आपकी अधोगति का

दोस्त टीचर है आपके बदलाव का टी
दोस्त स्टूडेंट है आपके आचरण का
दोस्त कॉन्फिडेंस है आपके ज्ञान का
दोस्त क्रिएटर है आपके चरित्र का

दोस्त मेमोरीकार्ड है आपकी यादों का
दोस्त फ्यूचर है आपकी सोच का
दोस्त सीक्रेट है आपकी सफलता का
दोस्त एसेट है आपकी जिंदगी का

- रानमोती /Ranmoti 

प्रिय मित्र होते है !

हसानेवाले, रुलानेवाले
खिलानेवाले, पिलानेवाले
चढ़ानेवाले, उतारनेवाले
मालूम कौन होते है ?
प्रिय मित्र होते है !

दिखानेवाले, छुपानेवाले
बढ़ानेवाले, घटानेवाले
यादोंवाले, फिर्यादवाले
मालूम कौन होते है ?
प्रिय मित्र होते है !

संभालनेवाले, बिगाड़नेवाले
चलानेवाले, रुकानेवाले
जलनेवाले, जलानेवाले
मालूम कौन होते है ?
प्रिय मित्र होते है !

समझनेवाले, समझानेवाले
सिखानेवाले, सीखनेवाले
तारीफ़वाले, निंदावाले
मालूम कौन होते है ?
प्रिय मित्र होते है !

मदत करनेवाले, लेनेवाले
साथ देनेवाले, छोड़नेवाले
वक्त बनानेवाले, बिगाड़नेवाले
मालूम कौन होते है ?
प्रिय मित्र होते है !

- रानमोती / RANMOTI  

Wednesday, July 29, 2020

भूल जाती हूँ


क्या खूबियाँ है मुझमें जान पाती मगर
मै उससे पहले ही खुद को भूल जाती हूँ
जमाना चाहें करे लाख सितम मगर
मै समझकर नासमझ बन जाती हूँ

जोड़ती हूँ उम्रभर अतूट रिश्ते मगर
मै खुद ही चूर चूर कर बिखर जाती हूँ
बनाया है मैने खूबसूरत आशियाँ मगर
मै खुद को ही सवांरना भूल जाती हूँ

आंखो में मेरे बेहती है फिक्र मगर
मै खुद के लिये बेफिक्र हो जाती हूँ
मुझ में बसा दया का सागर मगर
मै खुद के लिये बेदर्द बन जाती हूँ

बड़ी शिद्दत से पाला मैंने सबको मगर
मै खुद को ही जतन करना भूल जाती हूँ
दूसरो के खातिर जी लेती उम्रभर मगर
मै खुद के लिये पलभर सांस ना ले पाती हूँ

कोई मिटाएगा मेरे सारे दुःख मगर
मै खुद ही हसना भूल जाती हूँ
है मेरा भी जीवन अनमोल मगर
मै उसका भी मूल्य भूल जाती हूँ

सजाती हूँ दुसरो की दास्ताँ मगर
मै खुद की ही कहानी भूल जाती हूँ
धरतीपर खुदा का वरदान हूँ मगर
मै दूसरो के लिए खुद ही मिट जाती हूँ

- राणी अमोल मोरे

Monday, July 27, 2020

बाई एसटी माई


बाई एसटी माई सांग कव्हा येशील
डोस्क्यावरचं गठुडं गावी कव्हा नेशील
वाट पाहत बसलो कव्हाचं फाट्यावर
आता तरी ये आम्हा गरीबाच्या वाट्यावर
बाई एसटी माई सांग कव्हा येशील

खाजगी गाड्या आता परवडायच्या नाही
तुह्याशिवाय दुसरं गाव दावायचं नाही
लय दिवसाचं खोळंबलं लेकीचं लेकरू
केव्हा भेटवशील बाई गायीला वासरू
बाई एसटी माई सांग कव्हा येशील

तालुक्याला जाऊन कागदपत्रं काढायची
पेरणीसाठी कर्जाची विनती हाय करायची
शाळाविना पोरं उगाच फिरतात संटी
आता तरी वाजू दे रोजची तुही घंटी
बाई एसटी माई सांग कव्हा येशील

कामाचे झाले वांदे थांबलेत आठवडी बाजार
रिकाम्या खिश्यासंग माणसं झाली लाचार
कानाला सवय लागली तुह्या आवाजाची
तूच हाये खरी रक्तवाहिनी आमच्या गावाची
बाई एसटी माई सांग कव्हा येशील
डोस्क्यावरचं गठुडं गावी कव्हा नेशील

- राणी अमोल मोरे



सजलं शिवार



कष्टाने तुझ्या रे सजलं शिवार
नटली धरणी झाला किती भार
हाकेला सर्जा राजा तुझ्या आज
मुके सवंगडी घाली स्वप्नाला साज
आहे रे तू माझ्या जीवाचा पोशिंदा
भरगोस धान्य पिकेल तुला यंदा

डोळ्यात तुझ्या कष्टाची ती झोप
घाई घाई उगवलं हिरवं रोप
बघताच तुला शेताच्या बांधावर
डुलु लागलं रान वाऱ्याच्या झोतावर
आहे रे तू माझ्या जीवाचा पोशिंदा
भरगोस धान्य पिकेल तुला यंदा

वाढलं पिक जणू लेकरू वयात
पाहून त्याला बाप सुखी होई मनात
राखणासाठी तुझा दिनरात पहारा
ढगाचे नयन भिजले पाहून पसारा
आहे रे तू माझ्या जीवाचा पोशिंदा
भरगोस धान्य पिकेल तुला यंदा

डोळ्यातल्या मायेने शिवार पिकलं
त्यागाच्या त्या मातेने पिवळं नेसलं
राजा तुझ्या कुळाला पोटभर घास
हाच त्या मातीचा दिनरात ध्यास
आहे रे तू माझ्या जीवाचा पोशिंदा
भरगोस धान्य पिकेल तुला यंदा

- राणी अमोल मोरे 



#सजलं शिवार गीत 

Sunday, July 26, 2020

IAS officers Planner of Progress



We want to reiterate here the Indian Administrative Service (IAS) officer. An IAS officer is the one who keeps the administration connected with the Politician (Ministers). They have to work together under the guidance of the ministers. Most of the IAS officers do good work during their tenure. But here we want to talk about those officers, who have fearlessly placed their department at a different height with the best change in their leadership. Yes, the country needs such officers. Many times this officers works closely with all his dedication and wants to do it continuously. But it is heard that a system called Political Pressure keeps on obstructing them by repeatedly harassing them. Even though the officers may be good, fearless and far-sighted, this system called state pressure weighs heavily on them. IAS officers are posted on any department for three years and they have to work with full morality in the interest of their department in that period. If the public leader educated and intelligent, it is easy to work and the interest of the department is also taken into consideration along with the public interest. Many times these politicians launches their over-funded schemes to become a hero in the public and it damage the economic progress of the department. If the Politician is a transactionist, then he joins with big industrialists and unfortunately he try to sell the department as if. Due to these thoughts, most of the government departments are running at a loss and are taking initiative towards privatization. A good IAS officer can save the department from damage and drowning by explaining the ministers well, if the ministers are a little noble and understandable.

        Now we will talk about the officers filled by the state service commissions working inside the administration. For example, take any one center level department, such as railway, air aviation or petroleum etc. An IAS officer is the highest head of the department and it is easier to work inside the department when other gazetted and un-gazetted officers working inside the department work with full devotion and dedication and earnestness towards their department and public interest. But it is often found that some lazy, doodle and transactional officers become a headache. The precious time of IAS officers is wasted in the process of fixing them and the work get hampered its result becomes a big downfall and backwardness of the department. 

        These two major obstacles become the cause of trouble for most of the IAS officers. If we want that some good IAS officers get to the country and work in the national interest, then the administration will have to brainstorm on this subject at the community level. Due to which the interference of the politicians in the administration related work can be reduced slightly to ensure the progress of the department and the privatization can be hindered. At the same time, we will have to ensure their responsibility in a new way by raising their positive morale by thinking seriously about their contribution by other officers and employees filled by the State Services. After all, no person can do any government and non-government work on his own without a good and uniform group is the cause of progress or downgrade of any department. That is why, only IAS officers who create strong and determined administrative group are really called a planner of progress.

- Rani Amol More

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