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Sunday, July 26, 2020

पहिला श्वास


देवा या सुंदर धर्तीवर
मी घेतला पहिला श्वास

आनंद बहरला हृदयात
मी क्षणात विस्मरला
त्या स्वर्गातला निवास
देवा या सुंदर धर्तीवर
मी घेतला पहिला श्वास

प्रकाशले नवीन जग
उघडता नयन ते कोरे
माझ्या कोमल देहाला
स्पर्शुनी जाई गार वारे
देवा या सुंदर धर्तीवर
मी घेतला पहिला श्वास

कंठातल्या स्वरांनी
गुंजल्या चारही दिशा
प्रथम अनुभवास आली
दिवसामागची काळी निशा
देवा या सुंदर धर्तीवर
मी घेतला पहिला श्वास

भावला किती तो मज
मायेचा प्रेमळ स्पर्श
एकटेपणाचा वास संपला
पाहताच माउली झाला हर्ष
देवा या सुंदर धर्तीवर
मी घेतला पहिला श्वास

- राणी अमोल मोरे

प्रगति के नियोजक IAS अधिकारी


        हम यहाँ भारतीय प्रशासकीय सेवा (IAS) अधिकारी की बात दोहराना चाहते है। IAS अधिकारी वो होता है जो प्रशासन को लोकनेताओ (मंत्रीगण) से जुड़े रखता है। इनको मंत्रीगण के मार्गदर्शन में साथ मिलकर काम करना होता है। ज्यादातर IAS अधिकारी अपने कार्यकाल मने अच्छे काम करते है। लेकिन हम यहाँ उन अधिकारियों की बात करना चाहते है, जिन्होंने अपने नेतृत्व (Leadership) में निडर होकर बेहतरीन बदलाव के साथ अपने अपने विभाग को एक अलग ऊंचाई पर रख दिया है। हाँ, ऐसेही अधिकारियों की देश को जरुरत होती है। बहुत बार यह अधिकारी अपनी पूरी लगन के साथ नेकीसे काम करते है और लगातार करना चाहते है। लेकिन सुना जाता है की राजकीय दबाव (Political Pressure) नामक तंत्र उन्हें बार बार परेशान कर के रूकावट पैदा करते रहता है। अधिकारी चाहें कीतना भी नेक, निडर और दूरदृष्टिवाला हो, तब भी यह राजकीय दबाव नामक तंत्र उनपर भारी ही पड़ता है। IAS अधिकारी किसी भी विभाग पर ज्यादा तर तीन साल के लिए चुने जाते है और उन्हें उन्ही तीन सालो में अपने विभाग के हित में दिल लगाकर पूरी नैतिकता के साथ काम करना होता है। लोकनेता पढ़े लिखे और समझदार हो, तो काम करना आसान होता है और लोकहित के साथ विभाग के हित पर भी गौर किया जाता है। बहुत से लोकनेता जनता की नजर में नायक बनने के चक्कर में उनकी ज्यादा अनुदानवाली योजनाओ की खातिर विभाग के आर्थिक उन्नति को अनदेखा कर क्षति पहुचाते है। अगर लोकनेता लेनदेनवाला हो तो फिर बड़े बड़े उद्योगपतियोंसे जुड़कर विभाग को मानो बेचने पे उतर आते है। इसी कुविचारों से आज ज्यादातर सरकारी विभाग नुकसान में चल रहे है और निजीकरण की ओर पहल कर रहे है। एक अच्छा IAS अधिकारी चाहें तो मंत्रीगण को अच्छेसे समझाकर विभाग को नुकसानी और डूबने से बचा सकता है, अगर मंत्रीगण थोड़ा भी नेक और समझने लायक हो तो। 

        अब हम प्रशासन के अंदर काम करने वाले राज्य सेवावोद्वारा भरे गए अधिकारियो की बात करेंगे। उदहारण के तौर पर केंद्रस्तर का कोई भी एक विभाग ले लीजिए, जैसे की रेल्वे, हवाई उड्डयन या फिर पेट्रोलियम इत्यादि। एक IAS अधिकारी विभाग का उच्चत्तम प्रमुख होता और उसे विभाग के अंदर काम करना तब आसान होता है, जब विभाग के अंदर कार्यरत अन्य राजपत्रित और अ-राजपत्रित अधिकारी कर्मचारी पूरी निष्ठां एवं लगन के साथ काम करने वाले और अपने विभाग और जनहित के प्रति एकनिष्ठ हो। लेकिन बहुत बार ऐसा पाया जाता है की कुछ आलसी, कामचोर और लेनदेन वाले अधिकारी सिरदर्द बन जाते है। उन्हें ठीक करने के चक्कर में IAS अधिकारीयों का कीमती वक्त बर्बाद होता रहता है और काम भी ठीक से नहीं हो पाता और परिणाम वश विभाग की अधोगति तथा पीछेहठ का बड़ा कारण बन जाता है। 

        ये दो बड़ी रुकावटे ज्यादातर IAS अधिकारीयों के परेशानी का कारन बन जाती है। अगर हम चाहते है की कुछ अच्छे IAS अधिकारी देश को मिले और देशहित में काम हो, तो प्रशासन में राजकीय दबाव से मुक्तता (Political Freedom in Administration) इस विषय पर सामुदायिक स्तर पर विचार मंथन करना पड़ेगा। जिससे राजनेतावो का प्रशासन से जुड़े कामो में हस्तक्षेप थोड़ा कम होकर विभाग की प्रगति सुनिश्चित की जा सके और निजीकरण पर रूकावट लग सके। साथ ही हमें राज्य सेवावोद्वारा भरे गए अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी इनके योगदान पर गंभीरता से सोचकर उनका सकारात्मक मनोबल बढाकर नए ढंग से उनका दायित्व सुनिश्चित करना पड़ेगा। आखिरकार कोई भी सरकारी एवं निम् सरकारी कामकाज कोई भी इंसान अकेले अपने दम पर नहीं कर सकता, क्योँकि एक अच्छा और एकरूप समूह ही किसी भी विभाग की प्रगति या अधोगति का कारण होता है। इसीलिये एक उच्च एवं दृढ़निश्चयी प्रशासनिक समूह को तराशकर सँजोनेवाले IAS अधिकारी ही असल में प्रगति के नियोजक कहलाते है। 

- राणी अमोल मोरे



Saturday, July 25, 2020

Friends, get happiness and energy from your hobbies ..!



Dear friends,
I am sending my view to you in the form of this letter. In today's age of technology, the existence of the letter has come to an end. But, I have chosen this medium especially to reach out to you, because the love, affection and affection you find in the letter may not be found in this new technology and yes you all are very important to me so I am doing this.

        We all have many hobbies, many different things. Some even specialize in their art before marriage. We all cling to our parents and cultivate many of our things on a regular basis. However, after marriage, the picture would have changed completely. Among the responsibilities of the family, only women come forward to give up their own things. They are completely immersed in the upbringing of the children, even before they know when their own choices have taken a secondary place. I don't mean to imply that family members force us to do all this. Often those decisions are our own. Then we unknowingly get caught in this maze. Then you say, isn't family important ? Of course, family is important. But isn't it just as important to make time for yourself ? So what to do such a question arises. You have an option for this question, that is, take five minutes a day for yourself and quietly ask yourself what's different about me, who am I ? So start responding immediately to the answer that comes out of your heart more effectively and yes, whatever you choose to do, don't weigh yourself in a negative way, keep moving forward in a positive way. It can be anything you choose. For example, drawing, decorating, dancing, making others laugh by creating a different way of speaking, even drawing rangoli etc.

        Now, you say what a big deal. This is what anyone does. So friends, even if these things seem small on the surface, these things are very important in your life, find them, start working on them and remember that you don't want to show it to others, you just want to do it for yourself. The reason behind this is that you may be very busy, agile and beautiful till the age of 40, but then you start to lose attention naturally and then the children grow up and they don't feel the need for you much. In its spare time, negativity begins to infiltrate the mind and lead to mental illness.The true joy of life is slowly disappearing and irritability begins to build up about oneself. Save yourself, in time, before you get caught up in all this maze. Even though today apparently everyone is taking care of you, there is no doubt that tomorrow the picture is going to change. So start finding happiness on your own rather than expecting someone else to come and make you happy. Give a little time to your little things every day and keep a beautiful memories, so that today and in the future you will never feel like who I am ? what is my existence? Then these memories will respond to you and play with you with joy. 

        Pursuing your hobbies increases the energy of the mind and builds confidence in every task. It blooms in your eyes and face, no matter how old you are. Instead of being under the illusion that a sun will rise for me and then I will do something for myself, keep doing it in your own name. It is the right of every woman to get happiness and energy from her artistic talents and skills. 
           
          Thank you !

Whatever your hobby, it will give you happiness and energy ..!

With Regards,
(Rani Amol More)

अशी बायको भेटली का ?



दिवसभर करून वदवद
तरीही हसते गदगद
साधी भोळी आहे राहाया
सुंदर सुंदर तिची काया
सांगा बरं तुम्हाला
अशी बायको भेटली का ?

फोनवर तिची नुसती बडबड
रागात मोडते बोटं कडकड
पाय घसरून रोजचं पडते
दिवसात एकदातरी मुळूमुळू रडते
सांगा बरं तुम्हाला
अशी बायको भेटली का ?

खाऊन खाऊन झाली लठ्ठ
साड्यांसाठी करते हट्ट
मेकअप चढवून हळूच लाजते
मला मात्र वाघीण भासते
सांगा बरं तुम्हाला
अशी बायको भेटली का ?

रोजचीच असते तिची कुरकुर
ठरलेला असतो एकच सूर
मी आहे म्हणून निभावलं
म्हणते तुम्ही काय कमावलं
सांगा बरं तुम्हाला
अशी बायको भेटली का ?

छटाकभर काम दिवसभर पुरवते
एकच माळ सगळीकडे मिरवते
कशी असली तरी तीच माझी शान
सोबत आहे म्हणून नाही कशाची वाण
सांगा बरं तुम्हाला
अशी बायको भेटली का ?

- राणी अमोल मोरे


...वक्त बदलता है



मेहनत का फल होता है मीठा
क्या ये सच है या बोलो झूठा
शायद फल हमसे मुकर गया
तो मेहनत कर के क्या पाया ?

हर आस की मिली निराशा
छोड़ दी अब हर चीज़ की आशा
क्या करे रास्तें ही हम से मुड़े
हर कदम लड़ कर वही खड़े

बहुत महंगी पड़ती है अच्छाई
जान लो दुनियां की ये सच्चाई
सब कहते ढूंढ़ने से मिलता है
क्या वाक़ई में ये सब होता है ?

यहाँ सिर्फ कीमत है पैसों की
ना की हम जैसे लोगों की
दौलतबिना क्या काम की होशियारी
समझ लो आज की नई दुनियादारी

हम कितने भी कर ले जतन
क्यों नहीं बन पाते अनमोल रतन
कहते है वक्त बदलता है
हमारे हिस्से में क्यों एकसा है ?
- राणी अमोल मोरे

Friday, July 24, 2020

असा माणूस भेटला का ?



सामान्यांच्या हक्कासाठी
रान सारं पेटवून
दिनरात झटणारा
सांगा बरं तुम्हाला
असा माणूस भेटला का ?

तहान भूक विसरून
विरोध साऱ्यांचे झुगारून
सत्यासाठी पेटणारा
सांगा बरं तुम्हाला
असा माणूस भेटला का ?

ज्ञानाने भरली त्याची ओंजळ
अज्ञानाचा जरी असला गोंधळ
तग धरून उभा राहणारा
सांगा बरं तुम्हाला
असा माणूस भेटला का ?

बघून त्याची जिद्द अन तळमळ
सूज्ञांचे वाहतात अश्रू खळखळ
सत्कर्माने देवरूप पावणारा
सांगा बरं तुम्हाला
असा माणूस भेटला का ?

- राणी अमोल मोरे



शोहरत



शोहरत मिली मेहनत से
ना किसी की रहमत से
कहनेवाले तो बहुत मिले
हमने तो बस कर्म है पाले

कुछ ना होने का आक्रोश
हासिल करने का दे गया जोश
जिंदगी तू यूँ ना ऐसे मुकर
जो चाह है अब उसे पा गुज़र

हाथ में लेकर तलवार धैर्य की
गाथा लिख दी सफलता शौर्य की
सच्चाई का सदा साथ था मंत्र
ना किया कभी कपट या षड़यंत्र

पल पल संजोया कर्म से
आँखों में पनपते ख्वाब से
खूबसूरत बन गया था रास्ता
बस चलते रहने का था वास्ता

आखिर पहुँचे अपनी मंजिल
पार कर के कितने साहिल
तब जाना शोहरत पाने का सुख
साथ में उसे मिटने का दुःख

जिंदगी तूने जो है पाया
औरों को भी खूब है भाया
एक मन्नत गुजरने के बाद
शोहरत रहे सदा आबाद

- राणी अमोल मोरे

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