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Thursday, July 16, 2020

ऑफिस-ऑफिस



आपलं गड्या ऑफिस लय हाय भारी 
गोष्ट सांगतो त्याची आज तुले खरी 
उन्हा पाण्यात धाव धाव नित्य मी सुटतो
घेत नाही सुट्टी रोज हजर राहतो

कामात न्हाय सोडत जराबी सैल
जणू मी ऑफिसात बनतो कोलूचा बैल
किती केली मरमर भेटत नाही बढती
पाहून घरचे सारेच मलाच रागा भरती

जेवण करतो जणू घोडा खातो घास
घामाने अंगाचा नुसता येतो वास
दमतो करून रोज तोच तो नाच
नाही खात कुणाकडून कवडीची लाच

डोळ्यात माझ्या स्वप्न होती हजार
ऑफिसच्या राजकारणात झाली हद्दपार
कोणी आहे अधिकारी तर कोणी लाचार
काही करतात काम काही नुसतेच संचार

हीच आहे कामाची नित्य दिनचर्या
यात माझ्या हाडाचा लय वाजतो बोऱ्या
पायता पायता वेळ अशीच जाईल निघून
एक दिवस रिटायरमेंट बाहेर देईल झोकून


 ©Rani Amol More

Wednesday, July 15, 2020

गावच नव्हतं पत्यावर



एका उपाशी डोंगरानं खाल्लं माझं गाव
जगाच्या नकाशावर पुसलं त्याचं नाव
सुनी सुनी वाटे रिकामी आता जागा
डोंगराने पाडल्या जणू हृद्यात भेगा

मानवाने दिल्या होत्या कटूत्वाच्या जखमा
त्याच्याच मोजल्या आज त्यांनी रकमा
तांडवाची डोंगराला आली होती लहर
सोसू नाही शकलं गाव त्याचा कहर

सकाळी पडला होता आंगणात सडा
मन हलवुन गेला पाहुन तो रडा
सारं गाव दडलं डोंगराच्या गाळात
कोणी नाही सुरक्षित कुठल्याच माळात

गाई गुरे निजली होती गवताच्या उशीत
डोंगरानं घेतलं त्यांना आपल्याचं कुशीत
सकाळची एसटी आली होती रस्त्यावर
पण गावच नव्हतं आज त्याच्या पत्त्यावर

रानमोती काव्यसंग्रहातून.....


 ©Rani Amol More

तू खुद ही एक पूर्ण जीवन है


अगर तू समझता है
तो तू खुद ही एक पूर्ण जीवन है

अगर तू सोचता है
तू एक हारा हुआ इंसान है
तो याद कर जीवन की सबसे बड़ी रेस
जो तू पैदा होने से पहले ही जीत गया था
लाखो करोड़ो को पीछे छोड़
तू अकेला ही जिन्दा रह पाया था
अगर तू समझता है
तो तू खुद ही एक पूर्ण जीवन है

अगर तू सोचता है
तू एक बेघर इंसान है
तो याद कर वो माँ की कोख
जिसमे नौ महीने तेरा बसेरा था
वो दुनियाँ का सबसे अनोखा घर
जो चाह कर भी कोई बांध नहीं सकता
अगर तू समझता है
तो तू खुद ही एक पूर्ण जीवन है

अगर तू सोचता है
तुझे कोई उपहार नहीं मिलता
तो याद कर वो हवा की अनोखी पहल
जो सबके साथ तुझे भी समान मिलती है
वो कुदरत के अनंत उपहार
जो कोई भी तुझ से छीन नहीं सकता
अगर तू समझता है
तो तू खुद ही एक पूर्ण जीवन है

अगर तू सोचता है
तुझे कोई साथ नहीं देता
तो याद कर वो सूरज की किरण
जो तुझे भी छू कर ऊर्जा दे जाती है
जीवन इन्ही लमहो से गुजरता है
फिर तू अकेला कैसे हुआ
अगर तू समझता है
तो तू खुद ही एक पूर्ण जीवन है

✍रानमोती /Ranmoti 




 ©Rani Amol More

Tuesday, July 14, 2020

कभी सोचा है...



कभी सोचा है

हरे हरे पत्तों से
मोतियों की बून्द बरसती है
पानी की धाराये
परदा बनके सजती है
प्रकृति का निरंतर
बारिश एक उपहार है
कभी सोचा है

वो एक सर्दसा
आलम समेट कर आती है
ग्रीष्म को चुटकी में
धरती से उड़ा ले जाती है
हरे हरे रंगो से
खुशियाली फैला देती है
कभी सोचा है

हम देखे या न देखे
हर कोने से मंडराती है
दुःख सारे समेटकर
समंदर में बहा ले जाती है
जीने का वरदान
जीवन को दे जाती है
कभी सोचा है

सड़क पर चलने में
हमें तकलीफ होती है
वो चंद ही पल में
मिट्टी में घुल जाती है
मानो या ना मानो
वक्त पर प्यास बुझा जाती है
कभी सोचा है

जीवन का बारिश
एक बहुमूल्य तत्त्व है
अमूल्य होकर भी
मुफ्त में मिल जाता है
इसी जलतत्त्व से
मनुष्य का देह रूप लेता है
कभी सोचा है

- Ranmoti / रानमोती
 


 ©Rani Amol More

Sunday, July 12, 2020

जिये जा रहे थे

अनचाहें रास्तें पर चले जा रहे थे
दुनियाँ की बातों में फसे जा रहे थे
लोगों की तारीफों में बहे जा रहे थे
न जाने कौन से गुरुर में जिये जा रहे थे

सच्चाई से मुँह मोड़ भागे जा रहे थे
इंसानियत की दिवार तोड़ चले जा रहे थे
स्वार्थ की चादर ओढ़ सोये जा रहे थे
न जाने कौन से धर्म को जिये जा रहे थे

प्रकृति ने खेल खेला तो रोये जा रहे थे
अपनेही कर्मों की सजा भुगतें जा रहे थे
घर में बैठ जीवन की आस लगाए जा रहे थे
न जाने कौन से अधर्मों की कृपा जिये जा रहे थे
✍ रानमोती



 ©Rani Amol More

पुरे आता युरियाचा गाजावाजा

माझ्या बळीराजासाठी महत्वपूर्ण माहिती

ऐका हो ऐका बळीराजा 
पुरे आता युरियाचा गाजावाजा 

युरिया नसे मुख्य खत 
का त्याची लाविता पिकास लत 

युरिया बनुनी पूरक खत गोड 
देई संयुक्त खतातील नत्रास जोड 

एकरी एक गोणी हाच नियम पाळा 
अनाठाई युरिया खरेदी आता टाळा 

युरिया खताचा जादा वापर 
किडीला निमंत्रणाचं फुटेल पाझर 

अमोनियम सल्फेट पर्याय दुसरा 
युरिया खताला आतातरी विसरा 

अमोनियम सल्फेट करी हळुवार पोषण 
युरियाचे मात्र हवेत होई शोषण 

युरियाशिवाय खताचा पहिला डोज होई शक्य 
२०:२०:०:१३ च्या दोन अन Mop ची अर्धी गोणी लक्षात ठेवा वाक्य

✍राणी अमोल मोरे


 ©Rani Amol More

Saturday, July 11, 2020

कुछ साल बाद..

कॉलेज के कुछ साल बाद
वो घडी आई
जब सोशल मिडिया की
मेहरबानी हुई
हर कोई जुड़ा था
अपने दोस्त जुटाने में
अपनी यादों को
ताजा कर संवारने में
न जाने कहाँ कहाँ
मग्न थे कमाने में
जुड़ गए आज एक
फ्रेंडशिप लिस्ट में
जो बॅक बेंचर्स थे
वो आज आगे थे
जो आगे थे
वो कही और ही गुम थे
कोई लूज़र था
तो कोई टॉपर था
अपनी जिंदगी का
हर कोई नायक था
कोई पति तो
कोई बीवी थी किसीकी
कही बच्चोकी
तो कही आवाज थी बर्तोनोकी
भरी पड़ी थी गैलरी
सबकी तस्वीरों से
अपनी खुशयाली
बतलाने के बहाने से
हर एक लगा था
अपनी प्रोफ़ाइल सजाने में
जिंदगी की भागदौड़ से
दो पल चुराने में
हर कोई अपनी लाइफ की
बेंच पर सवार था
बस एक ही बात थी
आगे कोई पढ़ानेवाला नहीं था
अपने ही अनुभवों से
हर कोई सिख रहा था
एक दूसरों को
ज्ञान की बातें बाँट रहा था
जिंदगी के अनदेखे
सवालों को तराश रहा था
बातों ही बातों में
एक दूजे का सहारा बन रहा था
कॉलेज के कुछ साल बाद
वो घडी आई
जब सोशल मिडिया की
मेहरबानी हुई

- RANMOTI 




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