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Tuesday, July 14, 2020

कभी सोचा है...



कभी सोचा है

हरे हरे पत्तों से
मोतियों की बून्द बरसती है
पानी की धाराये
परदा बनके सजती है
प्रकृति का निरंतर
बारिश एक उपहार है
कभी सोचा है

वो एक सर्दसा
आलम समेट कर आती है
ग्रीष्म को चुटकी में
धरती से उड़ा ले जाती है
हरे हरे रंगो से
खुशियाली फैला देती है
कभी सोचा है

हम देखे या न देखे
हर कोने से मंडराती है
दुःख सारे समेटकर
समंदर में बहा ले जाती है
जीने का वरदान
जीवन को दे जाती है
कभी सोचा है

सड़क पर चलने में
हमें तकलीफ होती है
वो चंद ही पल में
मिट्टी में घुल जाती है
मानो या ना मानो
वक्त पर प्यास बुझा जाती है
कभी सोचा है

जीवन का बारिश
एक बहुमूल्य तत्त्व है
अमूल्य होकर भी
मुफ्त में मिल जाता है
इसी जलतत्त्व से
मनुष्य का देह रूप लेता है
कभी सोचा है

- Ranmoti / रानमोती
 


 ©Rani Amol More

Sunday, July 12, 2020

जिये जा रहे थे

अनचाहें रास्तें पर चले जा रहे थे
दुनियाँ की बातों में फसे जा रहे थे
लोगों की तारीफों में बहे जा रहे थे
न जाने कौन से गुरुर में जिये जा रहे थे

सच्चाई से मुँह मोड़ भागे जा रहे थे
इंसानियत की दिवार तोड़ चले जा रहे थे
स्वार्थ की चादर ओढ़ सोये जा रहे थे
न जाने कौन से धर्म को जिये जा रहे थे

प्रकृति ने खेल खेला तो रोये जा रहे थे
अपनेही कर्मों की सजा भुगतें जा रहे थे
घर में बैठ जीवन की आस लगाए जा रहे थे
न जाने कौन से अधर्मों की कृपा जिये जा रहे थे
✍ रानमोती



 ©Rani Amol More

पुरे आता युरियाचा गाजावाजा

माझ्या बळीराजासाठी महत्वपूर्ण माहिती

ऐका हो ऐका बळीराजा 
पुरे आता युरियाचा गाजावाजा 

युरिया नसे मुख्य खत 
का त्याची लाविता पिकास लत 

युरिया बनुनी पूरक खत गोड 
देई संयुक्त खतातील नत्रास जोड 

एकरी एक गोणी हाच नियम पाळा 
अनाठाई युरिया खरेदी आता टाळा 

युरिया खताचा जादा वापर 
किडीला निमंत्रणाचं फुटेल पाझर 

अमोनियम सल्फेट पर्याय दुसरा 
युरिया खताला आतातरी विसरा 

अमोनियम सल्फेट करी हळुवार पोषण 
युरियाचे मात्र हवेत होई शोषण 

युरियाशिवाय खताचा पहिला डोज होई शक्य 
२०:२०:०:१३ च्या दोन अन Mop ची अर्धी गोणी लक्षात ठेवा वाक्य

✍राणी अमोल मोरे


 ©Rani Amol More

Saturday, July 11, 2020

कुछ साल बाद..

कॉलेज के कुछ साल बाद
वो घडी आई
जब सोशल मिडिया की
मेहरबानी हुई
हर कोई जुड़ा था
अपने दोस्त जुटाने में
अपनी यादों को
ताजा कर संवारने में
न जाने कहाँ कहाँ
मग्न थे कमाने में
जुड़ गए आज एक
फ्रेंडशिप लिस्ट में
जो बॅक बेंचर्स थे
वो आज आगे थे
जो आगे थे
वो कही और ही गुम थे
कोई लूज़र था
तो कोई टॉपर था
अपनी जिंदगी का
हर कोई नायक था
कोई पति तो
कोई बीवी थी किसीकी
कही बच्चोकी
तो कही आवाज थी बर्तोनोकी
भरी पड़ी थी गैलरी
सबकी तस्वीरों से
अपनी खुशयाली
बतलाने के बहाने से
हर एक लगा था
अपनी प्रोफ़ाइल सजाने में
जिंदगी की भागदौड़ से
दो पल चुराने में
हर कोई अपनी लाइफ की
बेंच पर सवार था
बस एक ही बात थी
आगे कोई पढ़ानेवाला नहीं था
अपने ही अनुभवों से
हर कोई सिख रहा था
एक दूसरों को
ज्ञान की बातें बाँट रहा था
जिंदगी के अनदेखे
सवालों को तराश रहा था
बातों ही बातों में
एक दूजे का सहारा बन रहा था
कॉलेज के कुछ साल बाद
वो घडी आई
जब सोशल मिडिया की
मेहरबानी हुई

- RANMOTI 




Friday, July 10, 2020

लालच में..



दाना उठाने की चक्कर में
पंछी अटक गये जाल में
कुछ चतुराई से उड़ गये
तो कुछ वही लटक गये

कितनो ने भरा अपना पेट
तो कोई बन गया मानो सेठ
इनकी उलटी सीधी कसरत ने
शिकारी भी आ गया हरकत में

ऐसा जाल बिछाया
लालच में सबको फ़साया
तड़पते रहे उड़ जाने को
कोई नहीं आया बचाने को

समेट ने गया दुसरो का
वो पंछी घर का न घाट का
हक़ की मिले तो खाये
वही पंछी चैन से सो पाये

- राणी अमोल मोरे


Thursday, July 9, 2020

सफल व्यापारी

लोग पुँछते है
कैसे कमा लेते हो
हर चीज में सोना
कैसे तराश लेते हो
मै मुस्कुराके छोटासा
जवाब देता हूँ
मै भी आप जैसा ही
आम इंसान हूँ
बस थोड़ा
सोचता अलग हूँ
और सोच लिया तो
करता जरूर हूँ
जब नुकसान से
दुनिया डर जाती है
खुदको बचाने के लिए
पीछे हट जाती है
मेरी अनोखी सोच
वहीं से शुरू होती है
सफलता की पहली
सीढ़ी बन जाती है
मै अपना रास्ता
अलग चुनता हूँ
ठोकर खाकर
खुद ही संभलता हूँ
असफलता का डर
मै पालता नही
क्योंकि मेरा रास्ता
होता है सही
मेरी मेहनत ही
मेरा वजूद है
मेरी सफलता ही
उसका सबुत है
मेरे सपने ही
मेरा रहस्य है
आपको लगता है
वजह कोई और है
जब आम लोग
हजारो की सोचते है
तब मै करोडो में
खेलता हूँ
लोग जिंदगी
गवाँ देते है
मै पल में
समेट लेता हूँ
मेरा काम
मेरे वक्त की
कीमत तय करता है
आप का तो वक्त भी
कोई और खरीद लेता है
अपनी लगन से
मै बन जाता हूँ
सफल व्यापारी
तो लोग सोचते हो
मै पड़ गया
उन सब पे भारी
बस यही तो
बेतुकी बात है
जिसमें लोग
समय गंवाते है
मुझे औरों से
अलग दिखलाते है
खुद हाथ पर हाथ
धरे रहते है
अपने कर्म को छोड़
नसीब को कोसते है

- राणी अमोल मोरे

Central Pension Processing Centre: Latest News & Videos, Photos about  Central Pension Processing Centre | The Economic Times

Wednesday, July 8, 2020

वो दिये जला के..


बारिश बूंदों में बरस जाती है
हमारा ध्यान भी नहीं होता
वो मिट जाते है दूसरों के लिये
हमें पता भी नहीं होता

जब हम थे गहरी नींद में
वो दिये जला के चले गये
लाख कोशिश की बदलने की
पर हम जैसे के वैसे रह गये

रास्तें में कंटक मिलेंगे
उन्हें भी शायद पता था
बिछानेवाले अपने ही होंगे
यह शायद सोचा नही था

उनकी हँसी के अंगारे ऐसे चलें
की अपने ही पराये बन गये
उनको सजदा करे दुनिया सारी
हम तो मानों बेगाने बन गये

वक्त हमने वहाँ बिताया
जहाँ हमारा कोई काम नही था
झूठो का डंका खूब बजाया
पर जुँबा पर सच्चों का नाम नही था

- राणी अमोल मोरे

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