Search This Blog

Tuesday, September 3, 2024

निगाहों का कर्ज

आपकी ऊँची उठी निगाहों ने,
इस कदर इबादत की हमारी,
की सोच में पड गये,
किस ऊँचे मुक़ाम पर रखे खुदको,
ताकि, आपकी निगाहों का कर्ज
थोड़ा कम हो जाये !


- रानमोती / Ranmoti

No comments:

Post a Comment

Your valuable comments are highly appreciated and very much useful to further improve contents in this Blog.

Recent Posts

तू राजा मी सेवक (Vol-2)

- रानमोती / Ranmoti

Most Popular Posts