एक दिन एक इंसान अकेले बैठकर रो रहा था। और ईश्वर को कोस रहा था।
उसने कहा, प्रभू मेरे पास बंगला, गाडी, बीबी बच्चे, दोस्त, रिश्तेदार,नौकर चाकर सब है। फिर भी मै दुखी हूँ। ऐसा क्या कारण है, जो मुझे सबकुछ होते हुए भी दुखी रखता हैं। उसकी बाते सुनकर, ईश्वर मन ही मन मुस्कुराये और उन्होंने ठान लिया की आज इसे ज्ञान का अमृत पिला ही देता हूँ।
और तभी इंन्सान ने कहा, प्रभु क्या आप मुझपर प्रसन्न हुए हो, जो मुस्कुरा रहे हो। तो प्रभु ने कहाँ प्रसन्नता ही मेरा स्वभाव है। और रही बात तुम्हारे दुःख की, तो उसका कारण भी आज मै तुम्हे बता देता हूँ। .
तुम्हारे दुःख का कारण है तुम्हारी समझ और उसमे पनपी तुम्हारी ना समझ वाली जिद्द है।
मनुष्य ने कहा प्रभू, विस्तार से कहिये। तब उसपर ईश्वर कहते है, मनुष्य को समझ और
ज्ञान न होने के कारण ओ उसी चीजो की जिद्द करता है, जिसकी उसको कोई समझ नही होती और
वो अपने जीद के कारण उसी चीज को पा लेता है। पर संभाल नही पाता ।
तुम्हे माली बनना नही आता, और बगीचे मांग लेते हो।
घर बसाना नही आता, और शहर माँग लेते हो।
प्रेम करना नहीं आता, और आत्मा माँग लेते हो।
राजा बनना नहीं आता, और सेवक माँग लेते हो।
रिश्ता बनाना नही आता, और रिश्तेदार माँग लेते हो।
दोस्ताना समझ नहीं आता, और दोस्त मांग लेते हो।
परवरीश करनी नही आती, और बच्चे माँग लेते हो।
किसीका दुःख समझ नहीं पाते, और सुख माँग लेते हो।
नारायण बन नहीं पाते, और धनलक्ष्मी माँग लेते हो।
जीवन के अर्थ से अंजान हो तुम, और एक नया जीवन माँग लेते हो।
राम के दुःख से भी लोगो को लगाव था, और रावण की सोने की लंका से घृणा।
तुम ऊपर से कितना भी जिद्दी बनकर चीजे बटोरते रहो, पर तुम्हारे अंदर जो बैठा है, उसे
तलाश राम की। इसीलिए तुम दुखी हो। मैं उन लोगो को भी वो सब दे देता हु, जो उसे संभाल नही पाते। उनकी जीद की वजह से वो मुझसे वो सब पा तो लेते है, लेकिन प् कर भी संभल नहीं पाते।
मै भी ईश्वर हूँ, ऐसे लोगो को मै ये सारी चीजे दे देता हू। और वो सब मुर्ख, इन्ही में उलझकर कर,
दुखी होते है। पर जो असली चीज है, जो जीवन का सच्चा अमृत है, वो मै उनके लिये रखता हूँ,
जो सारी चीजो के काबील हो कर भी, उन्ही चीजों को ऊपर उठाते है, जो कर्म मैंने उन्हे सोपें
है और वो अपने उसी कर्मो से अमरता पा लेते है। वो खुद एक नया जीवन बन जाते है।
#Ranmoti
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