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Thursday, January 5, 2023

नसीब



नसीब नसीब इतना विलाप क्यों
मांगनेवाला देनेवाले के खिलाप क्यों
जब तू निराशा से झुक जाता है
जहन में तेरे क्यों नसीब आता है
लिखनेवाले ने लिख दिया तुझे पीड़ा क्यों
हर हार और रोने का कारन नसीब क्यों

अभी लड़ना तुझमें बाकी है
इसीलिए तेरी मांगे उसने रोकी है
सोच में न पड़ चल निरंतर
धरती और आसमा का है अंतर
तू कलाकार के भाती अभिनय कर
भयभीत ना हो देनेवाला बैठा है ऊपर
नसीब नसीब इतना विलाप क्यों
मांगनेवाला देनेवाले के खिलाप क्यों

- रानमोती / Ranmoti

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