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Sunday, December 4, 2022

कुपोषित आँखों से


कुपोषित आँखों से
जग देखने चला मै
कमजोर पैरों से
रेंगने चला मै

दबे कंधो से
लड़ने चला मै
भीगी आँखों से
रोने चला मै

भूख के दर्द से
बोलने चला मै
खाली थाली से
खाने चला मै

फैले हाँथो से
क्या मांगू मै
गिरने के डर से
कैसे उठु मै

सब गिर जाएगा
सँभालने से पहले
हौंसला टूट जायेगा
बढ़ने से पहले

चमकते तारो से
अक्सर शिकायत है
जो मेरी किस्मत से
मुझे चिढ़ाते है

भूख का काजल
झलकता आँखों में
सदियों की भूख
संचित मेरे हृदय में

कैसे लगेगी नज़र
माँ तेरे बछड़े को
जिंदगी खपा जिसपर
खुद तैयार हँसने को

कुपोषित आँखों से
जग देखने चला मै
कमजोर पैरों से
रेंगने चला मै

- रानमोती / Ranmoti

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