कुपोषित आँखों से
जग देखने चला मै
कमजोर पैरों से
रेंगने चला मै
दबे कंधो से
लड़ने चला मै
भीगी आँखों से
रोने चला मै
भूख के दर्द से
बोलने चला मै
खाली थाली से
खाने चला मै
फैले हाँथो से
क्या मांगू मै
गिरने के डर से
कैसे उठु मै
सब गिर जाएगा
सँभालने से पहले
हौंसला टूट जायेगा
बढ़ने से पहले
चमकते तारो से
अक्सर शिकायत है
जो मेरी किस्मत से
मुझे चिढ़ाते है
भूख का काजल
झलकता आँखों में
सदियों की भूख
संचित मेरे हृदय में
कैसे लगेगी नज़र
माँ तेरे बछड़े को
जिंदगी खपा जिसपर
खुद तैयार हँसने को
कुपोषित आँखों से
जग देखने चला मै
कमजोर पैरों से
रेंगने चला मै
- रानमोती / Ranmoti
No comments:
Post a Comment
Your valuable comments are highly appreciated and very much useful to further improve contents in this Blog.