Search This Blog

Friday, November 11, 2022

कारीगिरी


हे कारागीर,
तुम बस अपनी कारीगिरी पर ध्यान लगाना
तुम्हे अपना हुनर है आजमाना
भूल जाना दिन है या रात
डूब जाना अपने लक्ष के साथ
शिल्प कौशल की कला
हाथों में लेकर तू निकला
करुणा के साथ उतर जाना
नई धरोहर का परचम लहराना
हे कारागीर
तुम बस अपनी कारीगिरी पर ध्यान लगाना
तुम्हे अपना हुनर है आजमाना
प्रेम इतना भरना
की पत्थर भी जीवित हो उठे
खाकर तेरे अनगिनत घाव
सदा तुझ संग रहे डटे
अपनी चेतना को बनाकर हथियार
तू शिल्प पे उतार दे अनेक भाव
वो पत्थर सुन्दर मूरत बनकर जब सजे
रंगो से भरना उनमे प्राण
समर्पण तेरा इतना हो
उस मूरत में भी तेरी सूरत हो
तेरे हाथो के रक्त की एक एक बून्द
विभिन्न रंगो में समावेशित हो
रंग ऐसा चढ़ जाये उसपर
हर तरफ बस तेरी ही पुकार हो
हे कारागीर,
तेरी कारीगिरी अमर हो ऐसा जोर लगाना
तुम बस अपनी कारीगिरी पर ध्यान लगाना
तुम्हे अपना हुनर है आजमाना
  
- रानमोती / Ranmoti

2 comments:

Your valuable comments are highly appreciated and very much useful to further improve contents in this Blog.

Recent Posts

तू राजा मी सेवक (Vol-2)

- रानमोती / Ranmoti

Most Popular Posts