बहते हुए झरने की धाराएं कुल
रेशमी खुशियों के दामन वो गुल
इन्द्रधनु के सप्तरंग कहलाते
मेरे सपने
मधुर संगीत की तरह राहत भर जाते
निराशा के गुब्बारे तोड़ हवासे लहराते
नई उमंग नई शुरवात अंकित कर जाते
मै जहाँ भी रहूँ उस जहाँ ले जाते
मेरे सपने
कुसुम की सुगंध से नित्य महकते
नन्हे पाँव जमीं पर ऐसे थिरकते
कहानी को अंजाम तक ले जाते
पल में भंग कर रंग जमाते
मेरे सपने
मंजिल तक पहुँचाती सिढीयोंसे खरे
इच्छापूर्ति की अनुभूति से परे
राजमहलों की कहानी से घिरे
बिन प्याले मदिरा की नशा चढ़ाते
मेरे सपने
ना स्वस्त ना परास्त है पुकार
ना स्वार्थ ना द्वेष है हितकार
ना आकार ना उकार है निराकार
ना अंत ना आरंभ हो अनंत साकार
मेरे सपने
- रानमोती / Ranmoti
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