(भारतीय सेना के वीर जवानों को समर्पित)
तो ठहर जाओ
ह्रदय में संचित है
कुछ सुनते जाओ
जीवन के मेरे किस्से
अगर सुनना चाहो
भारत माता की जय
गीत गाते रहो
मै रखवाला हूँ देश का
दुश्मन ललकारे कहकर
अरे ऐ तिरंगेवाले भेस का
उसकी जुबाँ गुर्राकर बोली
दम है तो आगे बढ़
है वतन से मोहब्बत
तो ये खड़ा हिमालय चढ़
उसकी बात सुन
ज्वालासा भड़का मेरा क्रोध
पल में ही बन गया
मै नेताजी सुभाषचंद्र बोस
टूट पड़ा दुश्मनोपर
जैसे बम के गोले
याद दिलादी उन्हें
गब्बर की शोले
सीना मेरा झुका नही
क्रोध मेरा रुका नही
डर के मारे दुश्मन
दबके बैठा बिल में
भगत सिंह की कहानिया
भरी पड़ी मेरे दिल में
मै गिर के जंगल का
शेर बन ऐसा गरजा
सह्याद्रि के नागों सा
काटने दौड़ा
उत्तराखंड के बादलोंसा
धो धो बरसा
दुश्मनों को बहाकर
ले गया मन्दाकिनी की तरह
लाशों के ढ़ेर बिछा दिए
समशान घाट की तरह
दुश्मन मेरा पाकिस्तान
चीन चित्र विचित्र
पर मै भारत माँ का
सच्चा हूँ सुपुत्र
ये समंदर ये आसमान
है मेरे मित्र
चन्द्रगुप्त शिवराज
रगो रगो में चरित्र
आँखों में खून खौलता गया
दिलमें जोश भरता गया
मातृभूमि का जयजयकार
ना इससे बड़ा कोई अवसर
सुनकर मेरे वतन का नारा
टूटटूट कर दुश्मन हारा
तिरंगा मेरे हाथ में
हर क्रांतिवीर मेरे साथ में
फ़तेह कर झंडा मैंने
उनकी जमीनपर ऐसे गाड़ा
नापकों को ढ़ेर कर
वसूला मेरे भूमि का भाड़ा
जीत कर युद्ध को
बढ़ा दी देश की सरहद
अब बस इस जमीन पर
मेरे वतन की हुकूमत
मेरे वतन की हुकूमत
- रानमोती / Ranmoti
इस धरती पर क़ुर्बान होना चाहूँ
ReplyDeleteहर जनम बस यही फिर्याद चाहूँ
👍👍👍👍👍👍
वाह! क्या बात है!
ReplyDeleteJai hind
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