जो तू पीछे है अबतक
अकथित जो मंत्र है
रूठेंगे तुझसे कबतक
जीवन के रहस्यों को
सुन उनकी शब्दों में
अनकहे किस्सों को
ढूँढ उनकी किताबों में
तेरी अतृप्त भूख तू
जल से मिटा मत देना
पंच-पकवान की आस तू
यूँ ही छोड़ मत देना
उसकी सुगंध सूंघकर
रास्ता ढूँढले अनजान
तेरा भी हक़ है उसपर
पेटभर चख ले अरमान
रास्तों पर कठनाईयाँ
सुनकर रुक मत जाना
ज़िद रख उन्हें लाँधकर
तुझे मंजिल को है पाना
तू भी अंश है प्रकृति का
बात यह सुनिश्चित कर
सबको कवच है नियति का
तू देख उठाके नजर
दुसरो की जय से पहले
अपनी विजय निश्चित कर
वक्त पर मार छलांग
अन्यथा पछतायेगा जिंदगीभर
- रानमोती / Ranmoti
👌
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