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Monday, August 15, 2022

धरती

बिन बादल तरसे रे
मोती मोती बरसे रे
धरती तो जुडी हुई
अंबर संग मिली हुई

उसकी तो नियति रे
अंधियारे को क्षति रे
बिन सूरज नहीं रे
उजियाले की ख्याति रे

प्रकृति से खिली हुई
जीवन को फुलाती गई
उसकी तो नाव है
जीवन हुआ सवार है

यात्री वो इंसान है
जीना जिसका काम है
कर्मो को बांधो गले रे
ख़ुशी ख़ुशी चलो रे
- रानमोती / Ranmoti

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