सागर से मोती चुन के लाएँगे
हे मातृभूमि
हम फिर से तुम्हें सजाएँगे
आए आँधी फ़िकर कहाँ है
आए तूफ़ान फ़िकर कहाँ है
तेरे प्यार में जीते जो यहाँ है
सैलाब से भी लड़के आएँगे
हे मातृभूमि
हम फिर से तुम्हें सजाएँगे
फ़क़ीर होने की पर्वा नही है
मरमिटने की पर्वा नही है
तेरे नाम के नारे लगाते जो यहाँ है
देशभक्ति से अमिर हो जाएँगे
हे मातृभूमि
हम फिर से तुम्हें सजाएँगे
नंदनवन हो तेरी ज़मीन
सारे जहाँ को हो तुझपे यक़ीन
तेरे मिट्टी से तिलक लगाता जो यहाँ है
उस तिलक की कसम सबको जगाएँगे
हे मातृभूमि
हम फिर से तुम्हें सजाएँगे
सुंदर तेरी मूरत सजे
तू नई नवेली दुल्हन लगे
तेरे आँचल से बंधे जो यहाँ है
मिलके विश्व मे तिरंगा लहराएँगे
हे मातृभूमि
हम फिर से तुम्हें सजाएँगे
सागर से मोती चुन के लाएँगे
- रानमोती / Ranmoti
हे मातृभूमि तुझे सलाम ।
ReplyDeletevery nice and energetic poem.
अप्रतिम रचना
ReplyDelete🙏🙏👌👌
ReplyDeleteVeri good
ReplyDeleteVery nice
ReplyDelete