यथार्थ ने जकड़े पैर जमीनपर
स्वप्न ने खींचे हाथ आसमा तक
मनुष्य बन इतना सजग
ना कभी पैर उड़े स्वप्न के भाती
ना कभी स्वप्न को मान यथार्थ
तेरा रास्ता जमीन और आसमा के बिच का
तेरा रास्ता जीवन और मृत्यु के बिच का
तेरा रास्ता मानने और समझने के बिच का
तेरा रास्ता दार्शनिक और दृष्टा के बिच का
विचारो की मालाओ में दृष्टिकोण निर्मित है
दृष्टिकोण की मुक्ति से सत्यता पनपती है
सुंदरता सजग सरलता का रूप है
कठिन जटिल है अहंकार का स्वामी
मनुष्य जीवन दीपक ज्योति है
तेल बाती दिया तीनो का संगम है
👌👌👌
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