हम प्रकाश को देखते है, महसूस करते है, लेकिन आज हम उसे समझने की कोशिश करेंगे, जो हमारे इर्दगिर्द मौजूद है और जो हमारे भीतर भी लुप्त अवस्था में स्थापित है। खास कहे तो सूर्य के प्रकाश और इंसान के भीतर मौजूद आत्मप्रकाश को समझते है। विज्ञान की भाषा में अगर प्रकाश को समझा जाये तो, उसके क्या गुण है, उसे पहले जानने का प्रयास करते है।
- प्रकाश दिखने में तो एक सफ़ेद किरण जैसी है। लेकिन उसे जब किसी पारदर्शक पिरामिड से पार किया जाये तो, उसके अंदर छिपे सात रंग उजागर होकर हमें रंगीन किरण दिखने लगती है।
- प्रकाश की किरण हमेशा सीधी रेशा में भ्रमण करती है।
- प्रकाश की गति ब्रम्हांड की सबसे तेज गति है।
- प्रकाश एक तरंग है जो बिना किसी माध्यम के भी स्पेस यात्रा कर सकती है।
ये सारे प्रकाश के गुण हमने वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझे । अगर हम आध्यात्म की भाषा में प्रकाश या प्रकाशमई इंसान इनकी व्याख्या और गुणों का अवलोकन करे तो हमें विज्ञान और आध्यात्म एक दूसरे की कसौटीपर उतारकर देखना होगा.
- अगर कोई इंसान प्रकाशमई है या बुद्धत्व को प्राप्त है, तो वो सामान्य मनुष्य को तो देखने में वो एक साधारण सा एक जिव लगेगा। लेकिन महापुरुष को समझने के लिए हमें पारदर्शक पिरामिड के दृष्टिकोण की आवश्यकता होगी तब जाकर हम उसके महानतम या प्रकाशमय गुणों को समझ सकेंगे।
- बुद्धत्व को प्राप्त इंसान हमेशा सत्य के मार्ग की सीधी राह पर चलेगा प्रकाश की तरंग जैसा।
- सिद्ध आत्मा के दिये भौतिक जीवन या शरीर में कोई भेद न देखकर वह सूक्ष्मतम शरीर की भाती सबको एक समान तरंग की तरह देखेगा और मानेगा।
- जिसने अपने बुद्धि की सारे दरवाजे खोले है, वो सबसे गतिमान होगा, क्योंकि उसे रोकने या सोचने की कोई वजह ना होगी, वो हर चीज से वाकिब हो चूका होगा।
- जहा यात्रा करने का कोई माध्यम (हवा, पानी या धातु) उपलब्ध नहीं होगा तब भी वो अपने आप को सबसे गतिमान यात्री पायेगा। विज्ञानं कीभाषा में हम उसे होलोग्राम कहते है।
इन सारी बातों का सारांश एक ही निकलता है, जहा प्रकाश है वहा उजियाला है। चाहे वो विज्ञानं हो या बुद्धत्व की ओर ले जानेवाला आध्यात्म हो। इन सभी जगहोंपर प्रकाश के गुण समान है। मतलब भौतिक विज्ञानं हर जगह परखा और समझा जा सकता है। इसीलिए विज्ञानं की सतह पर आध्यात्म को समझे तो कोई भी बात हवा में ना लगकर वास्तव दर्शन दिलाती है।
- रानमोती / Ranmoti
Very nice..science and spirituality..👍
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