मैं भारत आज कहता हूँ आपसे इस गगन से
मैं भारत वो नही जिसे दिखाया जा रहा है
मैं भारत वो हूँ जिसे छुपाया जा रहा है
धरती के उपर मुझे सजाया नही जाता है
दफन जो मुझे सदियोंसे किया जा रहा है
मैं भारत आज कहता हूँ आपसे इस गगन से
मैं भारत जिसे सदियोंसे दुश्मनोने लुटा
मैं भारत जिसकी जमीन को टुकड़ो में काटा
मैं भारत जिसकी निशानियों को गैरो ने बांटा
मैं भारत जिसका धैर्य कठोर कभी नहीं टुटा
मैं भारत आज पूंछता हूँ आपसे इस गगन से
मैं अखंड था उसे खंडित किसने किया
समानता रक्त मेरा विषम किसने किया
धन का पिटारा मेरा निर्धन किसने किया
श्रमणता पथ मेरा विचलित किसने किया
मैं भारत आज पूंछता हूँ आपसे इस गगन से
मैं आदि अनादि मुझे पिछडा किसने किया
मैं पवित्र निर्मल गंगा मुझे अछूत किसने किया
मैं विद्या का उगम मुझे अनाडी किसने किया
मैं सर्वजन सुखाय मुझे धर्मस्य द्रष्टा किसने किया
मैं भारत आज पूंछता हूँ आपसे इस गगन से
क्यों शत्रुओंने मेरी अस्मिता को मुझसे छिना
क्यों दुश्मनोने मेरी धरती को अपना माना
क्यों पाखंडियोंने मेरे सत्यधर्म को किया निशाना
क्यों मैं आज जात पंथ कपट का बना ठिकाना
मैं भारत आज कहता हूँ आपसे इस गगन से
मैं शांत दयालु हूँ क्रूर विचलीत नहीं
मैं ध्यानमग्न हुँ अधीन किसीके कदापि नहीं
मैं पार्थ निःस्वार्थी हूँ स्वार्थी अभिमानी नहीं
मैं वीर पराक्रमी हूँ कायर परास्त नहीं
मैं भारत आज कहता हूँ आपसे इस गगन से
मैं धरोहर हूँ विश्वास की अविश्वास का पात्र नहीं
मैं चेतना हूँ जीवन की चिंता की चकोरी नहीं
मैं मिसाल हूँ इंसानियत की क्रूरता की विकृति नहीं
मैं सत्य की ज्योत हूँ असत्य से कलंकित नहीं
मैं भारत आज प्रण लेता हूँ खुदसे इस पल से
मैं भारत मुझे अब ढूंढ़ना मेरा अस्तित्व है
मैं भारत मुझे अब सवांरना मेरा कर्तुत्व है
मैं भारत मुझे अब सत्य का डंका बजाना है
मैं भारत मुझे अब सर्वोपरि आगे बढ़ना है
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ReplyDeleteभारत का इतिहास, वर्तमान और भविष्य बयान करनेवाली अप्रतिम अवार्ड विनिंग कविता… 👍🇮🇳👍
ReplyDeleteछान आहे
ReplyDeleteNice lines
ReplyDeleteउत्कृष्ट कविता, राष्ट्रप्रेम से ओत प्रोत
ReplyDeleteजय हिंद
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