खुदको नवाजा हिरे मोती से
तू चिंगारी है जीवन शांती की
नमन है राजन्य तेजोमय धरती से
अनंत प्रफुल्लित विशालता
शायद कोई ना माप सका
तुही सच्चा ईश्वर धरतीपर
इन्सान ना कोई जान सका
तेरे हर बात का प्रत्यय है
शंका की कोई जगह नही
तुने जो बताया वो सत्य है
कुछ और सोचने की वज़ह नही
तु निरंतर स्थिर कृतीशील है
सर्व समायोजित तेरे पंचशील है
श्रद्धा स्थान पर तुही प्रस्थापित है
बदले नाम पर मूर्तिस्वरूप तुही है
त्रिदेव बन तुही अवतरीत होता है
ज्ञान तेरा हर काल मे भाता है
तु जमीन के अंदर सुरक्षित है
तुही भारत था ये अब सुनिश्चित है
राजीवपद से धरती तीर्थरुप है
तु एक ही है जिसे खोजा जा सकता है
बाकियो को तो बस चिरकाल
कल्पना मे सोचा जा सकता है
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