पल भर का होगा मेला
फिर जीवन अकेला
तू सिखले आदमी जीना
सुकून से बस साँस लेना
जहाँ में सबका बसेरा
हर ख़्वाब लगे तुझे तेरा
हकीकत में यहाँ कोई न तेरा
जी ले बस हरपल नया सवेरा
जब हसे तेरी मुस्कान
समझ खुदा है मेहरबान
मांग ले मन्नत कदरदान
बस साँस लेना हो आसान
कठनाई में याद आये खुदा
वरना सुख में तू खुदपर ही फ़िदा
अब बस सब्र को बना अपनी अदा
मौत का खौप भी रहेगा तुझसे जुदा
. . . तू सिखले आदमी जीना,
सुकून से बस साँस लेना।
फिर जीवन अकेला
तू सिखले आदमी जीना
सुकून से बस साँस लेना
जहाँ में सबका बसेरा
हर ख़्वाब लगे तुझे तेरा
हकीकत में यहाँ कोई न तेरा
जी ले बस हरपल नया सवेरा
जब हसे तेरी मुस्कान
समझ खुदा है मेहरबान
मांग ले मन्नत कदरदान
बस साँस लेना हो आसान
कठनाई में याद आये खुदा
वरना सुख में तू खुदपर ही फ़िदा
अब बस सब्र को बना अपनी अदा
मौत का खौप भी रहेगा तुझसे जुदा
. . . तू सिखले आदमी जीना,
सुकून से बस साँस लेना।
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