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Saturday, January 9, 2021

बाज़ार.....?


बाज़ार की लाली और हरयाली
कही खरेदी तो कही बिकवाली
मौका दशहरा तो कभी दिवाली
कही नुकसान तो कही मुनाफ़ा वसूली

चढ़ता उतरता बाजार का भाव
कही खरोंच तो कही भरदे घाव
कभी धीमी तो कभी दौड़ती नाव
शांत बैठे बाज़ एकसाथ मारते ताव

नये शिकार समझते है आसान रास्ता
बाजार की चाल से ना होते हुए वास्ता
पोपट पंछियों की बातों में उलझकर
मानो निकल पड़ते है मशगूल होकर

लगाते है अपने पसीने की पूंजी
सपनों में बस मुनाफे की खोजी
कभी कभी होती सौदो की नैया पार
तो कभी कभी बाजार की पड़ती मार

कुछ लोंगो को लगे ये पैसो की दुकान
कोई ख़रीदे गाड़ी तो कोई नया मकान
किसीको मुश्किल तो किसीको लगे आसान
सतर्कता ही होगी सफलता का निशान

- रानमोती / Ranmoti

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