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Wednesday, December 8, 2021
धूसर वाटा
कधीतरी ह्या धूसर वाटा
अलगद मोडून जातील
आजच्या ओल्या पाऊल खुणा
उद्याच्या उन्हात सुकून जातील
कालच्या जगण्याच्या आठवणी
मनाच्या खळग्यात कुजून जातील
जगण्याला अर्थ मिळो ना मिळो
माणसे मात्र अशीच जगून जातील
झेप महत्वकांक्षी इतकी मोठी
पार क्षितिजेही संपून जातील
टणक डांबरी रस्ते
वाड्या पाड्या पिंजून जातील
म्हातारी मायबाप दोन पैश्यांसाठी
पाय घासत संपून जातील
उनाड तरुणाई शान शोकापायी
सुसाट गाड्या उडवित जातील
भिन्न दोन मतांचा अलिप्त ओघळ
शांत स्वरात वाहत जाईल
सुख दुःखाच्या सुंदर दालनात
जीवन निरंतर श्वास घेत जाईल
कधीतरी ह्या धूसर वाटा
अलगद मोडून जातील
जगण्याचा अर्थ कळो ना कळो
हे निराकार
हे निराकार ले आकार हो साकार
तु मित्र बन चित्र देख सखे मेरे नेत्र
तु सुप्त तु गुप्त मै तृप्त कर मुक्त
तु निवास तु आवास तु विकास
तु प्रार्थना तु साधना तु आराधना
तु कर्म तु मर्म तु धर्म
तु श्वास तु ध्यास तु उपवास
तु शांती तु भ्रांती तु विश्रांती
तु भव्य तु काव्य तु दिव्य
तु समाधान तु वरदान तु गुप्तदान
तु सम्मान तु अरमान तु प्रमाण
तु आधार तु उदार तु साक्षात्कार
तु धैर्य तु शौर्य तु सुर्य
तु युध्द तु शुध्द तु बुद्ध
तु क्षण तु कण तु मन
तु आरंभ तु स्तंभ तु जगदंब
तु अभिलाषा तु विलाषा तु आशा
तु फल तु निर्मल तु कमल
तु स्थापना तु कामना तु सामना
हे निराकार ले आकार हो साकार
- रानमोती / Ranmoti
Monday, December 6, 2021
ज्ञानमोती
ज्ञान सागरातुनी ज्ञानमोती फुलला
करण्या सार्थ जीवा दिनरात झटला
सांगुनी सत्यपथ सारा विश्व फिरला
भारतरत्नाने तो विश्वरत्न नटला
ज्ञान सागरातुनी ज्ञानमोती फुलला
अंधारल्या वाटेला प्रकाशुनी निघाला
उच्चनिचतेच्या सरीने नजाणे कितीक भिजला
होण्या समान सारे पेटुनी तो उठला
झाला सुखी जन न्यायास जो मुकला
ज्ञान सागरातुनी ज्ञानमोती फुलला
शोधण्या सत्य पथाला फुले शिष्य बनला
धुडकावूनी रूढी परंपरा मनुस्मृतीशी नडला
गणतंत्र दाऊनी जना महायोगी गणला
त्यागुनी स्वधर्म बुद्ध पायी नमला
ज्ञान सागरातुनी ज्ञानमोती फुलला
उठ रे जना तू सरसावण्या स्वत:ला
लढण्याआधीच भल्या असा का दमला
चालुनी नव वाटेला अज्ञानाने का हेरला
विसर का पडला तुजसाठी संविधान रचला
ज्ञान सागरातुनी ज्ञानमोती फुलला
- रानमोती / Ranmoti
Wednesday, November 24, 2021
रानमोती काव्यसंग्रह को “साहित्य भूषण” पुरस्कार
अखिल भारतीय मराठी साहित्य आंदोलन के प्रमुख केंद्र मराठी साहित्य मंडल की ओरसे इस वर्ष का साहित्य क्षेत्र का महत्वपूर्ण साहित्य भूषण पुरस्कार महाराष्ट्र के वाशिम जिल्हे की मिट्टी से जुड़ी मुंबई की युवा साहित्यकार रानी अमोल मोरे - उलेमाले के रानमोती काव्यसंग्रह को सातारा में हालही में सम्पन्न हुए तृतीय डा. बाबासाहेब आंबेडकर साहित्य सम्मेलन में प्रदान किया गया ।
इस साहित्य सम्मेलन का उध्दाटन वरिष्ठ विचारवंत राजरत्न आंबेडकर ने किया तथा सम्मेलन अध्यक्ष के रुप में सिक्कीम के पूर्व राज्यपाल तथा महान विचारक डा. श्रीनिवास पाटिल व स्वागताध्यक्ष वरिष्ठ विचारक एड. गौतम सरतापे उपस्थित थे तथा मुख्य अतिथि के रुप में पूर्व न्यायाधीश व वरिष्ठ विचारक रावसाहेब झोडगे, वरिष्ठ साहित्यिकार डा. जयप्रकाश घुमटकर, कवयित्री ललिता गवांदे, कवयित्री नीलीमा जोशी, लेखक विनायकराव जाधव उपस्थित थे ।
रानमोती वैसे तो वऱ्हाड वार विदर्भ पर्यटन पर आधारित काव्यसंग्रह के बाद आया रानी मोरे का दूसरा ही काव्य संग्रह है फिरभी जीवनावश्यक विषय पर बेहद गंभीर और निरागस रुप से भाष्य करनेवाला, अनावश्यक रुढ़ी प्रथाओं पर आघात करनेवाला, आधुनिक काल के मराठी काव्य क्षेत्र में विभाग निहाय प्रस्तुति करनेवाला, प्रिंट तथा डिजिटल प्लेटफार्म पर उपलब्ध पहला ही काव्य संग्रह होने से साहित्य भूषण पुरस्कार के लिए चुने जाने का प्रतिपादन वरिष्ठ साहित्यिकार तथा चयन समिति अध्यक्ष डा. जयप्रकाश घुमटकर ने स्पष्ट किया ।
पुरस्कार स्वीकारते समय रानी अमोल मोरे - उलेमाले ने मराठी साहित्य मंडल का आभार व्यक्त करते हुए दैनदिन मानवी जीवन के लिए उपयोगी और प्रगति के लिए जिम्मेदार साबित होनेवाली जीवन उपयोगी बातों पर लेख को मराठी साहित्य में भारी तादाद होने की बात स्पष्ट की । साथही महाराष्ट्र के साहित्य क्षेत्र को देशस्तर पर पुनर्जीवित करने के लिए प्रयास करने की बात भी कही
Friday, November 19, 2021
'रानमोती' काव्यसंग्रहास मराठी साहित्य मंडळाचा “साहित्य भूषण” पुरस्कार
अखिल भारतीय मराठी साहित्य चळवळीचे प्रमुख केंद्र असलेल्या मराठी साहित्य मंडळाच्या वतीने यावर्षीचा साहित्य क्षेत्रातील मानाचा समजला जाणारा "साहित्य भूषण" पुरस्कार विदर्भातील वाशिमच्या मातीशी नाळ असलेल्या मुंबईच्या युवा साहित्यिका राणी अमोल मोरे - उलेमाले यांच्या "रानमोती" काव्यसंग्रहास म्हसवड जिल्हा सातारा येथे शुक्रवार, दिनांक १९ नोव्हेम्बर २०२१ रोजी आयोजित तिसऱ्या डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर साहित्य संमेलनात प्रदान करण्यात आला.
सदर, साहित्य संमेलनाचे उद्घाटन ज्येष्ठ विचारवंत मा. राजरत्न आंबेडकर यांनी केले तर संमेलनाध्यक्ष म्हणून सिक्कीमचे माजी राज्यपाल व थोर विचारवंत डॉ. श्रीनिवास पाटील व स्वागताध्यक्ष ज्येष्ठ विचारवंत ऍड. गौतम सरतापे यांनी भूमिका बजावली. सदर साहित्य संमेलनास मुख्य अतिथी माजी न्यायाधीश व ज्येष्ठ विचारवंत रावसाहेब झोडगे, ज्येष्ठ साहित्यिक डॉ. जयप्रकाश घुमटकर, कवियत्री ललिता गवांदे, कवियत्री नीलिमा जोशी, लेखक विनायकराव जाधव यांची उपस्थिती होती.
“रानमोती” हा तसा “वऱ्हाड वारं” या विदर्भ पर्यटनावर आधारित काव्यसंग्रहानंतर आलेला राणी मोरे यांचा दुसराच काव्यसंग्रह असून देखील जीवन आवश्यक विषयावर अतिशय गंभीर व निरागसपणे भाष्य करणारा, अनाठाई रूढी प्रथांचा नकळत चिमटा काढणारा, आधुनिक काळातील मराठी काव्य क्षेत्रात विभागनिहाय मांडणी केलेला, प्रिंट तसेच डिजिटल प्लॅटफॉर्मवर उपलब्ध असलेला पहिलाच काव्यसंग्रह असल्याने "साहित्य भूषण" पुरस्कारासाठी निवडला गेला असल्याचे मत ज्येष्ठ साहित्यिक तथा निवड समितीचे अध्यक्ष डॉ. जयप्रकाश घुमटकर यांनी स्पष्ट केले.
पुरस्कार स्वीकारल्यानंतर बोलतांना राणी अमोल मोरे-उलेमाले यांनी मराठी साहित्य मंडळाचे आभार व्यक्त करीत दैनदिन मानवी जीवनास उपयोगी व प्रगतीस कारणीभूत ठरणाऱ्या जीवन उपयोगी बाबींवर लिखाणास मराठी साहित्यात प्रचंड वाव असल्याचे स्पष्ट केले. तसेच विदर्भातील साहित्य क्षेत्राला राज्य व देश पातळीवर पुनर्जीवित करण्यासाठी आपण प्रयत्न करणार असल्याचे सांगितले. साहित्य क्षेत्रा व्यतिरिक्त राणी ह्या विदर्भातील गरजू लोकांना मुंबईत राहण्याची व्यवस्था करणाऱ्या विदर्भ वैभव मंदिर न्यासाच्या विश्वस्त असून कृषी व्यवसाय क्षेत्रात कार्यरत आहेत. कोरोना काळात त्यांनी मुंबईत तथा राज्याबाहेर अडकलेल्या बऱ्याच गरजू विदर्भियांना परत प्रवासासाठी मदत केली. तसेच सर्व सामन्यांच्या प्रश्नावर त्यांच्या लेखणीतून त्या परखड मत मांडत असतात. त्यांच्या साहित्य, सामाजिक व सांस्कुतिक अशा अष्टपैलू व्यक्तिमत्वामुळे सर्वच स्तरातून त्यांच्यावर शुभेच्छांचा वर्षाव होत आहे.
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Tuesday, November 2, 2021
मैं भारत
मैं भारत आज कहता हूँ आपसे इस गगन से
मैं भारत वो नही जिसे दिखाया जा रहा है
मैं भारत वो हूँ जिसे छुपाया जा रहा है
धरती के उपर मुझे सजाया नही जाता है
दफन जो मुझे सदियोंसे किया जा रहा है
मैं भारत आज कहता हूँ आपसे इस गगन से
मैं भारत जिसे सदियोंसे दुश्मनोने लुटा
मैं भारत जिसकी जमीन को टुकड़ो में काटा
मैं भारत जिसकी निशानियों को गैरो ने बांटा
मैं भारत जिसका धैर्य कठोर कभी नहीं टुटा
मैं भारत आज पूंछता हूँ आपसे इस गगन से
मैं अखंड था उसे खंडित किसने किया
समानता रक्त मेरा विषम किसने किया
धन का पिटारा मेरा निर्धन किसने किया
श्रमणता पथ मेरा विचलित किसने किया
मैं भारत आज पूंछता हूँ आपसे इस गगन से
मैं आदि अनादि मुझे पिछडा किसने किया
मैं पवित्र निर्मल गंगा मुझे अछूत किसने किया
मैं विद्या का उगम मुझे अनाडी किसने किया
मैं सर्वजन सुखाय मुझे धर्मस्य द्रष्टा किसने किया
मैं भारत आज पूंछता हूँ आपसे इस गगन से
क्यों शत्रुओंने मेरी अस्मिता को मुझसे छिना
क्यों दुश्मनोने मेरी धरती को अपना माना
क्यों पाखंडियोंने मेरे सत्यधर्म को किया निशाना
क्यों मैं आज जात पंथ कपट का बना ठिकाना
मैं भारत आज कहता हूँ आपसे इस गगन से
मैं शांत दयालु हूँ क्रूर विचलीत नहीं
मैं ध्यानमग्न हुँ अधीन किसीके कदापि नहीं
मैं पार्थ निःस्वार्थी हूँ स्वार्थी अभिमानी नहीं
मैं वीर पराक्रमी हूँ कायर परास्त नहीं
मैं भारत आज कहता हूँ आपसे इस गगन से
मैं धरोहर हूँ विश्वास की अविश्वास का पात्र नहीं
मैं चेतना हूँ जीवन की चिंता की चकोरी नहीं
मैं मिसाल हूँ इंसानियत की क्रूरता की विकृति नहीं
मैं सत्य की ज्योत हूँ असत्य से कलंकित नहीं
मैं भारत आज प्रण लेता हूँ खुदसे इस पल से
मैं भारत मुझे अब ढूंढ़ना मेरा अस्तित्व है
मैं भारत मुझे अब सवांरना मेरा कर्तुत्व है
मैं भारत मुझे अब सत्य का डंका बजाना है
मैं भारत मुझे अब सर्वोपरि आगे बढ़ना है
मैं भारत वो नही जिसे दिखाया जा रहा है
मैं भारत वो हूँ जिसे छुपाया जा रहा है
धरती के उपर मुझे सजाया नही जाता है
दफन जो मुझे सदियोंसे किया जा रहा है
मैं भारत आज कहता हूँ आपसे इस गगन से
मैं भारत जिसे सदियोंसे दुश्मनोने लुटा
मैं भारत जिसकी जमीन को टुकड़ो में काटा
मैं भारत जिसकी निशानियों को गैरो ने बांटा
मैं भारत जिसका धैर्य कठोर कभी नहीं टुटा
मैं भारत आज पूंछता हूँ आपसे इस गगन से
मैं अखंड था उसे खंडित किसने किया
समानता रक्त मेरा विषम किसने किया
धन का पिटारा मेरा निर्धन किसने किया
श्रमणता पथ मेरा विचलित किसने किया
मैं भारत आज पूंछता हूँ आपसे इस गगन से
मैं आदि अनादि मुझे पिछडा किसने किया
मैं पवित्र निर्मल गंगा मुझे अछूत किसने किया
मैं विद्या का उगम मुझे अनाडी किसने किया
मैं सर्वजन सुखाय मुझे धर्मस्य द्रष्टा किसने किया
मैं भारत आज पूंछता हूँ आपसे इस गगन से
क्यों शत्रुओंने मेरी अस्मिता को मुझसे छिना
क्यों दुश्मनोने मेरी धरती को अपना माना
क्यों पाखंडियोंने मेरे सत्यधर्म को किया निशाना
क्यों मैं आज जात पंथ कपट का बना ठिकाना
मैं भारत आज कहता हूँ आपसे इस गगन से
मैं शांत दयालु हूँ क्रूर विचलीत नहीं
मैं ध्यानमग्न हुँ अधीन किसीके कदापि नहीं
मैं पार्थ निःस्वार्थी हूँ स्वार्थी अभिमानी नहीं
मैं वीर पराक्रमी हूँ कायर परास्त नहीं
मैं भारत आज कहता हूँ आपसे इस गगन से
मैं धरोहर हूँ विश्वास की अविश्वास का पात्र नहीं
मैं चेतना हूँ जीवन की चिंता की चकोरी नहीं
मैं मिसाल हूँ इंसानियत की क्रूरता की विकृति नहीं
मैं सत्य की ज्योत हूँ असत्य से कलंकित नहीं
मैं भारत आज प्रण लेता हूँ खुदसे इस पल से
मैं भारत मुझे अब ढूंढ़ना मेरा अस्तित्व है
मैं भारत मुझे अब सवांरना मेरा कर्तुत्व है
मैं भारत मुझे अब सत्य का डंका बजाना है
मैं भारत मुझे अब सर्वोपरि आगे बढ़ना है
Tuesday, October 26, 2021
राजन्य
खुदको नवाजा हिरे मोती से
तू चिंगारी है जीवन शांती की
नमन है राजन्य तेजोमय धरती से
अनंत प्रफुल्लित विशालता
शायद कोई ना माप सका
तुही सच्चा ईश्वर धरतीपर
इन्सान ना कोई जान सका
तेरे हर बात का प्रत्यय है
शंका की कोई जगह नही
तुने जो बताया वो सत्य है
कुछ और सोचने की वज़ह नही
तु निरंतर स्थिर कृतीशील है
सर्व समायोजित तेरे पंचशील है
श्रद्धा स्थान पर तुही प्रस्थापित है
बदले नाम पर मूर्तिस्वरूप तुही है
त्रिदेव बन तुही अवतरीत होता है
ज्ञान तेरा हर काल मे भाता है
तु जमीन के अंदर सुरक्षित है
तुही भारत था ये अब सुनिश्चित है
राजीवपद से धरती तीर्थरुप है
तु एक ही है जिसे खोजा जा सकता है
बाकियो को तो बस चिरकाल
कल्पना मे सोचा जा सकता है
गुरु ज्ञान तेरा वरदान
गुरु ज्ञान तेरा वरदान
हो जाये मंगल ध्यान
मै ना जानू परमात्मा
गुरु तुही बना आत्मा
आशीष तेरा कर दे पावन
स्थिर बने दे चंचल मन
गुरु ज्ञान तेरा वरदान
हो जाये मंगल ध्यान
धरा पर नन्हे बालक सारे
कल बनेंगे आसमाँ के तारे
सीख का तेरी करके जतन
बनाएंगे खुशियाल ये वतन
गुरु ज्ञान तेरा वरदान
हो जाये मंगल ध्यान
******
- रानमोती / Ranmoti
Friday, October 1, 2021
Friday, June 25, 2021
रास्तें है खुले हुए
रास्तें है खुले हुए
मंजिलो से जुड़े हुए
कुछ इरादों से बुने हुए
कुछ पत्थरों से घिरे हुए
चलने को पैर भी तैयार है
चलो कहने का इंतजार है
अफ़सोस तो कुछ नहीं है
बस शुरवात का मंजर है
आखिर पहुंचना होगा
खुद को तराशना होगा
राह देखकर कुछ न होगा
मंजिलो को पास लाना होगा
साथ मिला तो चलते रहो
कोई छूटा तो भूलते रहो
बस इरादों में हौसला भरते रहो
जीवन का समां बांधते रहो
- रानमोती / Ranmoti
Monday, June 21, 2021
जांभई..
कंटाळपणाचे लक्षण जांभई
येताचं सारे शरीर शांत होई
निजवार डोळे जांभई येताच कळले
आटपून सारे बिछान्याकडे वळले
घेताच लपेटूनी चादरीला
निद्रेचा खेळ डोळ्यात बहरला
डोक्यात नवे स्वप्न रंगले
फुलवत वेडे मनही दंगले
हळूच नयनी काळोख जडला
दिवसभराचा थकवा संपला
समाधानात गाढ झोप लागली
विश्वाची साऱ्या शांती लाभली
Friday, June 4, 2021
तत्त्व एक आहे
तुझी हिरवळ
तुझी गारपीट
तुझा ओलावा
तुझा कोरडा उन्हाळा
कधी दुखावतो
कधी सुखावतो
कधी सोसावतो
कधी भुरळ घालतो
थोडी किलबिल
थोडी शांतता
थोडी भक्ती
थोडी युक्ती
तुझी निरागस
रहस्य शक्ती
माझ्यावरती
असीम भक्ती
तुझे रागावणे
थंड हवेचे गोंजारणे
सारेचं असीम आहे
माझे निसर्गावर प्रेम आहे
वाटतं तुला
असंच जपावं
असंच गोंजारावं
तुझ्यात असचं रमावं
असंच खेळावं
कारण
तुझे नी माझे
तत्त्व एक आहे
जीवनाचे रहस्य
फक्त तूच आहे
Monday, May 31, 2021
मला थोडा उशीर होईल
त्याचा शेवट गाठायचा ध्यास आहे
ऐकलं आहे !
दूर दिसणाऱ्या डोंगरा पल्याड,
त्याने वाकडे तिकडे वळण घेतले आहे
रस्ताने चालताना,
रस्ताने चालताना,
अंधार प्रकाशाचा खेळ,
चालूचं राहणार आहे
जातांना तुला काही सांगायचं आहे
मला थोडा उशीर होईल,
मला थोडा उशीर होईल,
पण, मी नक्की परत येणार आहे
मी तुझा निरोप घेईल,
तेव्हा सकाळ असेल
परंतु, सायंकाळ होऊन,
अंधार पडायला वेळ लागणार नाही
त्या लक्ख काळ्या अंधारात,
कोल्ह्यांची कोल्हेकुई
आणि वाघाच्या डरकाळ्याही ऐकायला येतील
तेव्हा भीतीचा थरथराट सुटून
तुझा एकटेपणचा वनवा,
पेटायला वेळ लागणार नाही
मला थोडा उशीर होईल,
तोवर, तू तग धरून थांबशील ना ?
खात्रीने तू वाघिणीच्या धाडसाने
रात्रीच्या अंधाराला भिडशीलही
परंतु, सकाळच्या कोवळ्या सुंदर किरणांनी
परंतु, सकाळच्या कोवळ्या सुंदर किरणांनी
आणि फुलांच्या सुगंधाने
तुला मोहित केले तर
तु ज्या वळणावर मला निरोप दिला
तु ज्या वळणावर मला निरोप दिला
तेथे तुझे वळण माझ्या दिशेने
बदलायला वेळ लागणार नाही
मला थोडा उशीर होईल,
मला थोडा उशीर होईल,
पण, तू बदलणार नाही ना ?
ध्येय प्राप्तीनंतर,
आलेल्या कटू गोड अनुभवांना
एक एक करून उजाळत
तू दिलेल्या त्यागाला आठवत
क्षणभरातच परतीचा रस्ता पकडेल
प्रवास लांबणीचा आहे
परंतु, संपायला वेळ लागणार नाही
परत नक्कीच येणार,
परत नक्कीच येणार,
वचनबद्ध आहे !
मला थोडा उशीर होईल,
मला थोडा उशीर होईल,
तोवर, तू वाट पाहशील का ?
- रानमोती / Ranmoti
- रानमोती / Ranmoti
Monday, May 24, 2021
सच का प्यादा..!
अस्थिर मन हो गया स्थिर
भीतर पाया खुद ही स्वरुप
क्या पूरा क्या बचा आधा
कुछ ना मिला खुद से ज्यादा
पवित्र निर्मल शितल छाया
कुछ और शेष ना पाया
कणखर भी फूल बने
जब वो तुझे अपने लगे
बनकर तू मन का सारथी
आचरण में फूलों की सादगी
पूजा मै वक्त क्यों करू जाया
जब तू ही पूजनीय भाया
कठोर तप बन गया साधा
हाथ लगा जब सच का प्यादा
- रानमोती / Ranmoti
Thursday, May 20, 2021
दिवस-रात्र कार्यरत असणारे 'प्रकाशदूत' - वीज कर्मचारी
आज TAUKTAE CYCLONE च्या निमित्ताने जुन २०२० मध्ये आलेल्या महा भयावह निसर्ग चक्रीवादळाची आठवण झाली. गत वर्षी निसर्ग चक्रीवादळामुळे तडाखा बसलेल्या महाराष्ट्र राज्यातील कोंकण किनारपट्टी लगतची वीज वितरण व्यवस्था सर्वाधिक प्रभावित झाली होती आणि ती पूर्वपदावर आणण्यासाठी महाराष्ट्रातील वीज कर्मचाऱ्यांनी कोरोना काळात अहोरात्र प्रयत्न केले होते. त्यांच्या निसर्ग चक्रीवादळ काळातील पराक्रमाची पराकाष्टा त्यावेळी देश पातळीवर Role Model म्हणून ओळखल्या गेली. त्याच पराक्रमाची आठवण पुनः एकदा वीज कर्मचारी व अभियंते TAUKTAE CYCLONE मुळे विस्कटलेली वीज वितरण व्यवस्था पूर्ववत करण्यासाठी घेत असलेल्या प्रयत्नातून दिसून येत आहे.
यावेळी मात्र कोरोना महामारीच्या संकटाने अधिक रौद्र रूप धारण केले असून देखील जीवाची तमा न बाळगता कर्तव्य सर्वोतपरी मानणारे वीज कर्मचारी दवाखाने, Oxygen प्लांट यांच्यासह तुमच्या-आमच्या सर्वांच्या घरांना अविरत वीज पुरवठा करण्याच्या उद्देशाने मैदानात रणशिंग फुंकून तयार आहेत. चक्रीवादळासारख्या नैसर्गिक आस्मानी संकटांना तोंड देणारे, सामान्यांच्या जीवनात सदैव प्रकाश म्हणून उभे राहणारे वीज कर्मचारी मात्र नेहमीच प्रसिद्धीपासून दूर असतात. याउलट काही क्षणांसाठी जर वीज बंद पडली तर त्याची सर्वमुखाने ऐशी तैशी होते.
जवळपास सर्वच जीवनावश्यक बाबी ह्या विजेवर अवलंबून असून देखील वीज क्षेत्राला व त्यामधील काम करण्याऱ्या कर्मचाऱ्यांना त्यांच्या हिस्स्याचा न्याय कधीच मिळतांना दिसत नाही. आजही कोरोना महामारीला दीड वर्षाचा कालावधी ओलांडला असला तरी 'फ्रंट लाईन वर्कर' म्हणून त्यांना मानण्यास सामान्यांसह प्रशासन देखील उत्साही दिसत नाही. दुर्दैवच म्हणावं लागेल.
आज TAUKTAE CYCLONE मुळे कोकणामध्ये गंभीर स्वरूपात विस्कळीत झालेले विजेचे नेटवर्क पूर्वपदावर आणण्याकरिता २४x७ कार्यरत असणारे वीज कर्मचारी, अभियंते व अधिकारी खरोखरच कौतुकास पात्र असून तुम्हा-आम्हा, सर्वांसाठी प्रकाशदूतचं म्हणावे लागतील. अंधार दूर करून प्रकाशाचं दर्शन घडविणाऱ्या वीज कर्मचाऱ्यांना मनापासून धन्यवाद!
(रानमोती / Ranmoti)
Sunday, May 16, 2021
.....रडाया लागलं !
आभाळ आज धो धो रडाया लागलं
जाण्याने तुझ्या मन त्याचंही दुभागलं
भन्नाट सुटला वारा हा असा कसा
घेऊन गेला आमच्या लाडक्या माणसा
नयनी ढगांच्या घट्ट काळोख दाटला
घेऊन गेला आमच्या लाडक्या माणसा
नयनी ढगांच्या घट्ट काळोख दाटला
विजांनी कडकड दु:खी टाहो फोडला
संयमी शांत तुझ्या कर्माचे सुत्र
गावचा एक तुच लाडका भुमीपुत्र
गावचा एक तुच लाडका भुमीपुत्र
छोट्याश्या जीवनाला तू केलं मोठं
विरोधकांनाही प्रेम दिलं जाणवलं छोटं
विरोधकांनाही प्रेम दिलं जाणवलं छोटं
गेलास तू चुकवून काळजाचा ठोका
कोणी सांभाळावं तुझ्या भाबडया लोका
दीन जणांचा कैवारी तू श्रध्देची आशा
मृत्युच्या वादळाने केली आज निराशा
कोणी सांभाळावं तुझ्या भाबडया लोका
दीन जणांचा कैवारी तू श्रध्देची आशा
मृत्युच्या वादळाने केली आज निराशा
गावच्या मातीत तुझ्या यशाच्या खुणा
तुझ्याविना विकास कोण घडवेल सांग ना
परतुनी ये पुन्हा आमच्या वाट्याला
मुखाग्नी दे दु:खाच्या प्रचंड साठ्याला
तुझ्याविना विकास कोण घडवेल सांग ना
परतुनी ये पुन्हा आमच्या वाट्याला
मुखाग्नी दे दु:खाच्या प्रचंड साठ्याला
रिकामी जागा भरुन कशी निघणार
अंधारले डोळे सांग कधी तु दिसणार
अंधारले डोळे सांग कधी तु दिसणार
जाण्याने तुझ्या मन त्याचंही दुभागलं
आभाळ आज धो धो रडाया लागलं
- रानमोती / Ranmoti
Thursday, May 13, 2021
रुजव जरा काळजात....
हे मराठी माणसा नको भांडू आपसात
स्वराज्य टिकविले संभाने रुजव जरा काळजात
तुकडे झाले चार पाच अन हजार
तरी नाही कुठलाच पराक्रमाचा बाजार
कसे असेल ते जगणे अन मरणे
समजून घ्यावे स्वतः सांगावे न लागणे
राजे आम्ही फक्त कहाण्या ऐकल्यात
आपण मात्र त्या प्रत्यक्षात भोगल्यात
स्वराज्याचा पेलला उरावर डोंगर
लढायांचा नजाणे कसा हाकलास नांगर
राजे आयुष्य जरी तुम्हाला लाभले लहान
जिद्द आणि धाडसाने कर्तुत्व जाहले महान
क्रूर औरंगजेबाने जरी तुमचे डोळे काढले
आत्मविश्वासाने तुमच्या मात्र त्यास येथेच गाडले
आम्ही फक्त मालिका पाहिल्यात
आपण मात्र अनंत वेदना साहल्यात
हे मराठी माणसा नको भांडू आपसात
स्वराज्य टिकविले संभाने रुजव जरा काळजात
- रानमोती / Ranmoti
Wednesday, May 12, 2021
रख रख रान..
रख रख रान
हरवला प्राण
तहानली गाय
सुकली माय
अनवाणी पाय
निरखून जाय
तापला रवी
अंगार लावी
कुठून आणू
स्वासाचा वारा
जीव झाला जणू
डोक्यावर भारा
दूरच्या रानात
काटेरी बाभूळ
फाटली धरणी
उघडं झालं मूळ
आडोसा सावलीचा
पदर माऊलीचा
कधी संपेल वनवा
कोरड्या घासाचा
रिकामी घागर
कडक दुपार
वणवण चाले नार
तुडवत शिवार
पाण्याचा टाहो
फुटला घरात
रिकामी भांडी
वाजली जोरात
माठाच्या तळाशी
पाण्याचा गाळ
गळून पडला
बाळाचा नाळ
उपाशी पोटी
गाईचं कोरडं थान
हंबरडा फोडत
हरवू लागली भान
लहानग्या वासराच्या
ओल्या झाल्या कडा
श्रीमंताच्या वाड्याला
शेणा मातीचा सडा
भांडायला देवा तुला
ना उरला त्राण
तुझं रख रख रान
माझा हरवला प्राण
- रानमोती / Ranmoti
Tuesday, April 27, 2021
..बस साँस लेना
पल भर का होगा मेला
फिर जीवन अकेला
तू सिखले आदमी जीना
सुकून से बस साँस लेना
जहाँ में सबका बसेरा
हर ख़्वाब लगे तुझे तेरा
हकीकत में यहाँ कोई न तेरा
जी ले बस हरपल नया सवेरा
जब हसे तेरी मुस्कान
समझ खुदा है मेहरबान
मांग ले मन्नत कदरदान
बस साँस लेना हो आसान
कठनाई में याद आये खुदा
वरना सुख में तू खुदपर ही फ़िदा
अब बस सब्र को बना अपनी अदा
मौत का खौप भी रहेगा तुझसे जुदा
. . . तू सिखले आदमी जीना,
सुकून से बस साँस लेना।
फिर जीवन अकेला
तू सिखले आदमी जीना
सुकून से बस साँस लेना
जहाँ में सबका बसेरा
हर ख़्वाब लगे तुझे तेरा
हकीकत में यहाँ कोई न तेरा
जी ले बस हरपल नया सवेरा
जब हसे तेरी मुस्कान
समझ खुदा है मेहरबान
मांग ले मन्नत कदरदान
बस साँस लेना हो आसान
कठनाई में याद आये खुदा
वरना सुख में तू खुदपर ही फ़िदा
अब बस सब्र को बना अपनी अदा
मौत का खौप भी रहेगा तुझसे जुदा
. . . तू सिखले आदमी जीना,
सुकून से बस साँस लेना।
Tuesday, April 20, 2021
अखंड महाराष्ट्र एक नजर..
अखंड महाराष्ट्र एक नजर
सांगते विरासत ऐका बखर
लढवय्या प्रांत माझा कणखर
देशाचा प्राण प्रसिद्ध जगभर
छत्रपती रुपी एक महाराजा
तटस्थ जणू सहयाद्री भुजा
अडवीला उसळता पामर
असो जय महाराष्ट्र गजर
मुकुट शोभिला सातपुडा
डोलती कौलतीरीं कडा
नयनी कृष्णा गोदावरी
नेसली पैठणी भरजरी
सुरेल मराठी बोली भाषा
वाजती चौघडे अन ढोल ताषा
नाशिका विराजती त्र्यंबकेश्वर
मराठवाडा मुक्कामी घृष्णेश्वर
कुलदेवता पंढरीच्या नाथा
वैभव समृध्द तो घाटमाथा
भारत मातेच्या जणू गर्भात
खनिज संपत्ती गडगंज विदर्भात
कोल्हापुरी पंचगंगा येती संगमा
जळगावी केळी दाटल्या हंगामा
कोकणी राजा रसाळ हापूस
यवतमाळी बोंडी फुटला कापूस
टोकाला सातारा अन सोलापूर
महाराष्ट्रावर जणू मायेची चादर
भिवापुरी मिरची तोफेची गोळी
स्वादिस्ट लाभली मधुर पुरणपोळी
नांदेडी आस्थापित गुरु गोविंद
यात्रा जोतिबा देई परमानंद
उल्कापाताचे लोणार सरोवर
धन्य ही महाराष्ट्राची धरोहर
पुण्याची शान शनिवार वाडा
साष्टांग नमन शिवनेरी गडा
बांधुनी केशरी स्वाभीमानी फेटा
सज्ज सिंधुदुर्ग रोकण्या लाटा
वन्यप्राणी विहार करती ताडोबा
राजधानी मुंबई सर्वांचा घरोबा
सागरी वारे वाहतात भराभरा
थंडावी महाबळेश्वर अन चिखलदरा
समुद्र सपाटी सजली रत्नागिरी
उंच डोंगरात लुप्त मुक्तागिरी
विसरुनी जगाचे ब्रह्मज्ञान
शांत बसला अलिप्त माथेरान
डोक्यावर रचला नंदुरबार
लावणी नृत्यात फटाकडी नार
करी माणसे वेडे अन खुळे
दुग्ध सरीतेत न्हालं धुळे
अकोला वाशीम मध्यघाट पातूर
शिक्षणाचं पॅटर्न प्रसिध्द लातूर
कुठे सुटली लाडकी सांगली
गोजिरी भीमा हळुवार रांगली
अनंत हा महाराष्ट्राचा वसा
सांगू तुम्हा किती अन कसा
जर दुखलं कुणाचं नाक अन घसा
लवकर घ्या कोरोनाच्या लसा
अखंड महाराष्ट्र... जय महाराष्ट्र...!
- राणी मोरे (उलेमाले)
Monday, April 19, 2021
रासायनिक खंताचा संतुलीत वापर - मूलभूत प्रश्नोत्तरे
अधिक उत्पादन वाढीसाठी रासायनिक खंताचा संतुलीत वापर करणे काळाची गरज झाली असल्याने त्यासंदर्भातील खालील काही मूलभूत बाबींची माहिती असणे उपयोगाचे ठरू शकते !
१. रासायनिक खते म्हणजे काय व त्याचा संतुलित वापर करणे का आवश्यक आहे ?
रासायनिक खते ही खनिज पदार्थापासुन तयार केलेली मानवनिर्मीत खते आहेत. स्वातंत्र्योत्तर काळात निर्माण झालेल्या अन्नधान्य टंचाईच्या संकटावर मात करण्याच्या हेतूने, उत्पादन वाढीचे नवीन धोरण निश्चित करण्यात आले व त्याची टप्प्याटप्प्याने देशभरात अंमलबजावणी करण्यात आली. संकरित बियाणे, कीटकंनाशके, रासायनिक खते यांचा वापर व सिंचन क्षेत्रातील वाढ हे या धोरणातील प्रमुख घटक होते. उत्पादन वाढीचे नवीन धोरण व हरीत क्रांती यामुळे देश अन्नधान्याच्या बाबतीत स्वयमंपुर्ण झाला. परंतु रासायानिक खतांचा अधिक वापर गेल्या ५ दशकात केला गेला असल्याने आता त्याचे दुष्परीणाम जमिनीच्या सुपिकतेवर व पिकांवर दिसू लागले आहेत. परिणामी जमीन नापीक ‘मृद’ अवस्थेकडे वळत आहेत.त्यामुळे रासायनिक खतांचा अ-संतुलित वापर करतांना काही बाबी लक्षात घेणे जिकीरीचे होते जसे की ;
- रासायनिक खतांच्या अतिरीक्त वापरामुळे जमीनीचा सामु (PH) यावर परिणाम होतो.
- अतीरीक्त रासायनिक खते ही पीकाकडून शोषली जात नाहीत. ती जमीनीत अवीद्राव्य स्वरुपात तशीच पडुन राहतात, पावसाच्या पाण्याबरोबर जमीनीत खोलवर त्यांचा नीचरा होतो व कठीन असा HARDPACK जमीनीमध्ये तयार होतो.
- अतीरीक्त रासायणीक खते पावसाच्या पाण्याबरोबर वाहत जाऊन जवळच्या पाणी साठ्याला दुषीत करतात.
- रासायनिक खतांच्या अति वापरामुळे कडधान्यामध्ये प्रथीनाचे प्रमाण कमी होत आहे. तसेच फळभाज्या आणि फळे हे दुषीत होऊन त्याचे परीणाम मानवी आरोग्यावर होत आहेत.
या सर्व बाबी टाळण्यासाठी रासायनीक खतांचा वापर पुर्णपणे टाळणे सद्यस्थितीत शक्य नसल्याने त्यांचा संतुलीत वापर करणे ही काळाची गरज आहे. त्याचबरोबर खतांच्या वाढत्या कीमती ही देखील एक महत्त्वाची बाब लक्षात घेण्यासारखी आहे. उत्पन्नापेक्षा खर्च जास्त वाढल्याने शेतकरी कर्जबाजारी होऊ लागला आहे. यासर्व चक्रव्युहातून शेतकऱ्याला बाहेर काढणे अगत्याचे झाले आहे.
- रासायनिक खतांचा वापर हा आपल्या जमीनीच्या आरोग्यावरुन आपण ठरवू शकतो. हे जमीनीचे आरोग्य कसे तपासायचे तर यासाठी आपल्या जमीनीचे वर्षातुन १ वेळा किंवा शक्य नसल्यास किमान ३ वर्षात १ वेळा तरी माती परीक्षण नक्की करावे.
- माती परीक्षण म्हणजे शेतजमीनीतील अंतर्भूत रसायणे वा जैविकांचे विश्लेषण होय. याद्वारे शेतात कोणते पीक घ्यावे हे नक्की करता येते व कमी खर्चात उत्पादन वाढ होते. माती परीक्षणामुळे पिकांना घावयाच्या खतांची मात्रा ठरवता येते व त्यामुळे गैरवाजवी खते देण्यावर नियंत्रण देखील करता येते.
- पिके ही पोषणाला आवश्यक ती अन्नद्रव्ये जमीनीतुन घेतात. यापैकी नत्र, स्फूरद व पालाश ही अन्नद्रव्ये पिकांना जास्त प्रमाणात लागतात. त्यामुळे जमीनीमध्ये त्यांचे प्रमाण सतत कमी होत असते. पिकास लागणाऱ्या कोणत्या अन्नद्रव्यांची व किती प्रमाणात कमतरता आहे हे मातीपरीक्षणातुन कळते.
- मातीच्या नमुन्याचे प्रयोगशाळेत सामू, विद्राव्यक्षार, सेंद्रीयकर्ब, उपलब्ध नत्र, स्फुरद व पालाश यासाठी परीक्षण केले जाते.
- यावरुन जमीनीत कोणत्या अन्नद्रव्याची कमतरता आहे व जमीन पीक वाढीसाठी चांगली आहे किंवा नाही हे समजते.
- याशिवाय माती परीक्षण व पीक उत्पादन यांचे संबधावरुन पिकांना जमिनीतून किती प्रमाणात अन्नद्रव्ये द्यावयास पाहीजेत ही माहीती मिळते.
- खतांच्या माध्यामातून पिकांना नायट्रोजन (नत्र), फॅस्फरस (स्फुरद), पालाश (पोटशियम),कॅल्शियम, मॅग्नेशियम, सल्फर हे घटक, तर बोरेन, क्लोशिन, कॉपर, आयर्न, मँगनीज, झिंक आदि सुक्ष्म अन्नद्रव्य पुरवले जातात.
- जमीनीतील एकुण मुलद्रव्यापैकी उत्तम पिकवाढीसाठी एकुण १७ मुलद्रव्ये/अन्नद्रव्ये प्रामुख्याने आवश्यक आहेत.
- जमीनीतील उपलब्ध नत्र, स्फुरद, पालाश या अन्नद्रव्यांचे प्रमाण आणि पिकाची आवश्यकता पाहून खताच्या शिफारशी केल्या जातात.
अन्नद्रव्याची वर्गवारी / उपलब्ध अन्नद्रव्ये (किलो प्रति हेक्टर)
प्रमाण |
से. कर्ब |
नत्र |
स्फूरद |
पालाश |
अत्यंत कमी |
०.२० पेक्षा कमी |
१४० |
७ |
१०० |
कमी |
०.२१-०.४० |
१४०-१८० |
८-१४ |
१०१-१५० |
मध्यम |
०.४१-०.६० |
१८९-४२० |
१५-२१ |
१५१-२०० |
थोडे जास्त |
०.६१-०.८० |
५२१-५६० |
२२-२८ |
२०१-२५० |
जास्त |
०.८१-०.९९ |
५६९-६०० |
२९-३५ |
२५१-३०० |
अत्यंत
जास्त |
१.०० पेक्षा अधिक |
७०० |
३५ |
३०० |
- माती पृथ:करण केल्यानंतर जमिनीमध्ये असलेल्या नत्राचे प्रमाण जमीनीमध्ये कमी असल्यास विविध पिकासाठी शिफारस केलेल्या खत मात्रेत २५% वाढ करावी. हेच प्रमाण जास्त असल्यास शिफारशीत, खत मात्रेत २५% घट करावी. मात्र, जमीनीमध्ये अन्नद्रव्याचे प्रमाण मध्यम असल्यास पिकाच्या शिफारशीत खत मात्रा दिलेली आहे ती तशीच द्यावी.
- याकरिता शेतामध्ये सद्या स्थितीत N, P, K चे प्रमाण माहीती असणे आवश्यक आहे.जे पिक घेणार त्याची शिफारस केलेली खताची मात्रा ठरविणे. (उदा :- कांदापीक–१००:५०:५० किलो NPK/हेक्टर)
- त्यानंतर वापरण्यात येणाऱ्या खतात NPK चे प्रमाण माहित असणे आवश्यक.
Ø नत्र
- उदा. युरियामध्ये – ४६% N (नत्र), म्हणजे १०० KG युरीयामध्ये ४६ KGN (नत्र) असते. म्हणजेच २.१७KG युरीयामध्ये १ KGN (नत्र) मिळते.
- आपल्याला जर कांदा पीकासाठी १०० KG नत्राची (N) गरज आहे तर = १०० x २.१७ = २१७ KG युरीयाचा वापर करावा लागेल.
- माती परीक्षणामध्ये N चे प्रमाण अत्यंत कमी असेल तर ५० % वाढवून, कमी असल्यास २५ % वाढवून दयावी, म्हणजेच ५४ KG युरीया आनखी वाढवावा लागेल
- याप्रमाणे जर N चे प्रमाण जमीनीमध्ये जास्त असेल तर युरीयाचे प्रमाण ५०% किंवा २५ % कमी करावे.
Ø स्फुरद
- उदा. SSP मध्ये १६% स्फुरद असते, म्हणजेच ६.२५ KG SSP मध्ये १ KG स्फुरद.
- कांदा पीकासाठी आवश्यकता ५० KGम्हणजेच ३१५ KG SSP/ हेक्टर ची गरज आहे.
Ø पालाश
- MoP मध्ये पालाशचे प्रमाण ५८% असते, म्हणजेच १.५ KG MoP मध्ये १ KG पालाश.
- कांदा पीकासाठी आवश्यकता ५० KG म्हणजेच ८५ KG MoP/हेक्टर ची गरज आहे.
४. सेंद्रिय कर्ब आणि त्याचे महत्व ?
- सेंद्रिय कर्ब हा जमीनीच्या सुपिकतेचा खरा आधार असल्याने तो वाढवणे गरजेचे आहे.
- महाराष्ट्रात सर्वसाधारणपणे सेंद्रिय कर्ब कमी म्हणजे ०.२० ते ०.३० टक्क्यांपर्यंत आहे.
- शाश्वत शेती उत्पादनासाठी सर्व अन्नद्रव्यांसोबत सेंद्रिय कर्बाचा समतोल राखला गेला तरच आवश्यक अन्नद्रव्ये पिकास उपलब्ध होत असतात.
- सेंद्रिय कर्ब जितके जास्त तितका जमीनीचा पोत.
- त्याकरिता पिकांचे अवशेष न जाळता त्यापासून कंपोष्ट खत निर्माण केले तर जमिनीत मोठ्या प्रमाणात सेंद्रिय कर्बाचे प्रमाण वाढवता येते.
- सल्फर (गंधक) हा NPK नंतर चौथा महत्वाचा अन्नद्रव्य घटक आहे.
- तेल वर्गीय पिकांमध्ये गंधकाचे शोषण हे स्फुरदापेक्षा जास्त असते.
- भारतीय जमिनीमध्ये गंधकाची उपलब्धता कमी असल्याने गंधकाचे महत्व अधिक वाढले आहे.
- सल्फर जिवंत पेशीमध्ये अमिनो असिड चा घटक आहे.
- क्लोरोफिल / हरीतद्रव्य निर्मितीसाठी सहाय्यक आहे.
- सल्फर (गंधक) हा पिकामध्ये तेल, एन्झाइम आणि विटामिन बनविण्यास मदत करतो.
- सल्फर हे जिप्सममध्ये १३-१४ % , बेनटोनाईट मध्ये ९० % तर पायराईट मध्ये २२ % असते.
जमिनीच्या सुपीकतेसाठी व सुरक्षित उत्पादनासाठी एकात्मिक खत व्यवस्थापन करणे गरजेचे आहे. ज्यामध्ये रासायनिक खते, हरित खते, सेंद्रिय खते, जैविक खते यांचा योग्य समतोल साधून वापर करावा. तसेच दुष्काळी भागामध्ये ठिबक सिंचनाचा वापर करून सिंचनातून रासायनिक खतांचा पुरवठा केल्यास ५० % खतांची बचत करता येते. शाश्वत शेती विकासासाठी खत वापराची साक्षरता निर्माण झाल्यास गुणवत्ता पूर्वक उत्पादन करणे सोपे होईल तसेच शेतकऱ्यांचे उत्पन्न वाढण्यास मदत होईल.
**********************************************************************************
- राणी मोरे, एम.एस.सी (कृषी), मुंबई
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