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Friday, January 1, 2021

ख़्वाबों का परचम


इस नए सूरज के साथ आगे बढ़ना है
अपने ख़्वाबों का परचम लहराना है
उसके केशरिया रंग में घुल जाना है
अपनी सुनहरी ज़िंदगी को तराशना है

इस नई सुबह की किरणों को अपनाना है
अपनी सोच का कोहरा फैलाना है
उसकी आग़ाज़ को समझ कर लड़ना है
अपनी ज़िंदगी को सच्चाई से संवारना है

इस दिन के दायरे में कर्मों को बिछाना है
अपने हौंसलो को और बुलंद बनाना है
उसकी सीमा में रहकर असीम होना है
अपनी ज़िंदगी को नया मुक़ाम दिलाना है

इस नए सूरज के साथ आगे बढ़ना है
अपने ख़्वाबों का परचम लहराना है
- राणी अमोल मोरे

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