तेरे गुस्से से परहेज नही
तेरी खामोशी मुझे सताती है
मै आदमी बेफिकर नही
बस बेवकुफी रंग दिखाती है
जानबूझकर नहीं कुछ करता
पत्थर जो ठोकर देता है
पलभर चोट ज़रूर पहुँचाता
पर खुद ही मिट्टी में घुल जाता है
तेरा चीड़ जाना लाजमी है
मुझ से टकराना जायज है
वफ़ा मेरी तुझ से जुडी है
बस इतना समझना जरुरी है
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