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Friday, August 28, 2020

...मन नही



खुले है दरवाजे फिर से आज
लेकिन बाहर जाने का मन नही
मिले है लोग अरसे बाद
लेकिन हात मिलाने का मन नहीं

खिली है ताजी हवा बहुत दिनों बाद
लेकिन खुलकर साँस लेने का मन नहीं
त्यौहार तो इस साल भी आ रहे है
लेकिन खुशियाँ संजोने का मन नहीं

जीने से ज्यादा सफाई में वक्त जा रहा है
लेकिन अनदेखा करने का मन नहीं
बाहर की सफाई तो बहोत कर ली
लेकिन अंदर की सफाई का मन नहीं

प्रकृति बदलाव सीखा के गई
लेकिन बदलने का मन नहीं
प्रकोप तो सबके लिए एक है
लेकिन समझने का मन नहीं

- रानमोती / Ranmoti

8 comments:

  1. Behatarin 👌👌👌👍👍👍

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  2. Nice poem nice discription of today's life

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  3. Nice. These are fact due to present situation

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  4. मन तो है बहोत कुछ करने का , पर समा ऐसा के धीरज नहीं; वक्त ले रहा है कुछ ऐसा इम्तिहान, कारवा ऐसा के घने बादल ही है, सूरज नाही

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