हाँ जी हाँ मैंने तो आँखे बंद कर ली है
अंधकार का मुझपर चढ गया ऐसा नशा
मै तो भूल गई उजियाला और शीशा
कही अनकही के अंध विश्वास से से सँजोया
मै तो भूल गई मेरा आत्मविश्वास है खोया
इसीलिए, हाँ जी हाँ मैने तो आँखे बंद कर ली है
सच्चाई और गहराई से मुझे क्या लेना
मैंने तो झूठ को ही अपना ख़ुदा है माना
उसी ख़ुदा से जुड़े रहने का मन मे है ठाना
पर उसके न होने का सच मुझे नही मानना
इसीलिए, हाँ जी हाँ मैने तो आँखे बंद कर ली है
झूठ के अंधकार के सामने हाथ फैलाकर
मन्नत मांगती हूँ मेरा सदा भला ही कर
मन के प्रश्नो को कभी न देखा सुलझाकर
शांति कैसे मिलेगी ख़ुद को ही डराकर
इसीलिए, हाँ जी हाँ मैने तो आँखे बंद कर ली है
दूसरों का भला अब मुझे चुबने लगा है
किसी की अच्छाई को कभी सराहा नहीं है
पर बुराइयों पर ताना मारना छोड़ा नहीं है
मेरे विचारों की नय्या अंधकार में तैर रही है
इसीलिए, हाँ जी हाँ मैने तो आँखे बंद कर ली है
अंधकार का मुझपर चढ गया ऐसा नशा
मै तो भूल गई उजियाला और शीशा
कही अनकही के अंध विश्वास से से सँजोया
मै तो भूल गई मेरा आत्मविश्वास है खोया
इसीलिए, हाँ जी हाँ मैने तो आँखे बंद कर ली है
सच्चाई और गहराई से मुझे क्या लेना
मैंने तो झूठ को ही अपना ख़ुदा है माना
उसी ख़ुदा से जुड़े रहने का मन मे है ठाना
पर उसके न होने का सच मुझे नही मानना
इसीलिए, हाँ जी हाँ मैने तो आँखे बंद कर ली है
झूठ के अंधकार के सामने हाथ फैलाकर
मन्नत मांगती हूँ मेरा सदा भला ही कर
मन के प्रश्नो को कभी न देखा सुलझाकर
शांति कैसे मिलेगी ख़ुद को ही डराकर
इसीलिए, हाँ जी हाँ मैने तो आँखे बंद कर ली है
दूसरों का भला अब मुझे चुबने लगा है
किसी की अच्छाई को कभी सराहा नहीं है
पर बुराइयों पर ताना मारना छोड़ा नहीं है
मेरे विचारों की नय्या अंधकार में तैर रही है
इसीलिए, हाँ जी हाँ मैने तो आँखे बंद कर ली है
- राणी अमोल मोरे
गहरी भावनाओं से सजी हुई बेहतरिन कविता ।
ReplyDeleteSabhi common logo ki sacchai yahi hai... Sahi galat Sab ko pata hai phir bhi aankhe band kar li hai... Nice
ReplyDeleteSabhi common logo ki sacchai yahi hai... Sahi galat Sab ko pata hai phir bhi aankhe band kar li hai... Nice
ReplyDelete-rushikesh mahale
������nice poetry
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