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Saturday, July 25, 2020

...वक्त बदलता है



मेहनत का फल होता है मीठा
क्या ये सच है या बोलो झूठा
शायद फल हमसे मुकर गया
तो मेहनत कर के क्या पाया ?

हर आस की मिली निराशा
छोड़ दी अब हर चीज़ की आशा
क्या करे रास्तें ही हम से मुड़े
हर कदम लड़ कर वही खड़े

बहुत महंगी पड़ती है अच्छाई
जान लो दुनियां की ये सच्चाई
सब कहते ढूंढ़ने से मिलता है
क्या वाक़ई में ये सब होता है ?

यहाँ सिर्फ कीमत है पैसों की
ना की हम जैसे लोगों की
दौलतबिना क्या काम की होशियारी
समझ लो आज की नई दुनियादारी

हम कितने भी कर ले जतन
क्यों नहीं बन पाते अनमोल रतन
कहते है वक्त बदलता है
हमारे हिस्से में क्यों एकसा है ?
- राणी अमोल मोरे

3 comments:

  1. सच है..
    हम कितने भी कर ले जतन
    नही बन पाये रतन..

    ReplyDelete
  2. एक दिन सबका वक्त आता है. कर्म करते रहना चाहिए.

    ReplyDelete

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