कभी सोचा है
हरे हरे पत्तों से
मोतियों की बून्द बरसती है
पानी की धाराये
परदा बनके सजती है
प्रकृति का निरंतर
बारिश एक उपहार है
कभी सोचा है
वो एक सर्दसा
आलम समेट कर आती है
ग्रीष्म को चुटकी में
धरती से उड़ा ले जाती है
हरे हरे रंगो से
खुशियाली फैला देती है
कभी सोचा है
हम देखे या न देखे
हर कोने से मंडराती है
दुःख सारे समेटकर
समंदर में बहा ले जाती है
जीने का वरदान
जीवन को दे जाती है
कभी सोचा है
सड़क पर चलने में
हमें तकलीफ होती है
वो चंद ही पल में
मिट्टी में घुल जाती है
मानो या ना मानो
वक्त पर प्यास बुझा जाती है
कभी सोचा है
जीवन का बारिश
एक बहुमूल्य तत्त्व है
अमूल्य होकर भी
मुफ्त में मिल जाता है
इसी जलतत्त्व से
मनुष्य का देह रूप लेता है
कभी सोचा है
- Ranmoti / रानमोती
©Rani Amol More
बारिश का वर्णन बहूत सूना लेकीन यह बिल्कूल अलग और नया है.
ReplyDeleteKya baat hai. Kabhi socha na ki baaris ki tulna aise bhi ho sakti hai.. Good one
ReplyDeleteसर्वांना आनंद देणार्या पावसाला सलाम
ReplyDeleteकभी नहीं सोचा था बारिश का ऐसा विश्लेषण 👍
ReplyDeleteखूपच छान रहस्य उलगडल पावसाचे या काव्यातून
ReplyDeleteReally awesome, not think before.
ReplyDelete