कॉलेज के कुछ साल बाद
वो घडी आई
जब सोशल मिडिया की
मेहरबानी हुई
हर कोई जुड़ा था
अपने दोस्त जुटाने में
अपनी यादों को
ताजा कर संवारने में
न जाने कहाँ कहाँ
मग्न थे कमाने में
जुड़ गए आज एक
फ्रेंडशिप लिस्ट में
जो बॅक बेंचर्स थे
वो आज आगे थे
जो आगे थे
वो कही और ही गुम थे
कोई लूज़र था
तो कोई टॉपर था
अपनी जिंदगी का
हर कोई नायक था
कोई पति तो
कोई बीवी थी किसीकी
कही बच्चोकी
तो कही आवाज थी बर्तोनोकी
भरी पड़ी थी गैलरी
सबकी तस्वीरों से
अपनी खुशयाली
बतलाने के बहाने से
हर एक लगा था
अपनी प्रोफ़ाइल सजाने में
जिंदगी की भागदौड़ से
दो पल चुराने में
हर कोई अपनी लाइफ की
बेंच पर सवार था
बस एक ही बात थी
आगे कोई पढ़ानेवाला नहीं था
अपने ही अनुभवों से
हर कोई सिख रहा था
एक दूसरों को
ज्ञान की बातें बाँट रहा था
जिंदगी के अनदेखे
सवालों को तराश रहा था
बातों ही बातों में
एक दूजे का सहारा बन रहा था
कॉलेज के कुछ साल बाद
वो घडी आई
जब सोशल मिडिया की
मेहरबानी हुई
- RANMOTI
Nice 👌
ReplyDeleteThe meaning back benchers lot more.. really nice those memories.. thanks for recalling through this beautiful poem...
ReplyDeleteNice one
ReplyDeleteसुंदर
ReplyDeleteवास्तव वर्णन करणारी कविता...!!!
ReplyDeleteबहोत खूब...!!!
मित्रांची साथ या सेशल मिडीयाने पुन्हा मिळवून दिली. खरच मेहरबानी आहे.
ReplyDeleteKhup chan...Back to collage days
ReplyDeleteVery good recalled memories.
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