दाना उठाने की चक्कर में
पंछी अटक गये जाल में
कुछ चतुराई से उड़ गये
तो कुछ वही लटक गये
कितनो ने भरा अपना पेट
तो कोई बन गया मानो सेठ
इनकी उलटी सीधी कसरत ने
शिकारी भी आ गया हरकत में
ऐसा जाल बिछाया
लालच में सबको फ़साया
तड़पते रहे उड़ जाने को
कोई नहीं आया बचाने को
समेट ने गया दुसरो का
वो पंछी घर का न घाट का
हक़ की मिले तो खाये
वही पंछी चैन से सो पाये
- राणी अमोल मोरे
लालच बुरी बला है..
ReplyDeleteहक की मिले तो खाते .......
ReplyDeleteSahi hai
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