बचपन की मिट्टी के वो पुराने किस्से
फटी जेब से नानाजी के गिरते थे सिक्के
चोरीसे छुपकर हम उठा लेते थे एक एक
जानकर भी वो कहते मेरे पोता पोती बड़े नेक
वो पल सुनहरे और दिन थे अच्छे
हम बड़े चतुर पर नादान थे बच्चे
सिक्को को मुट्ठी में हलकासा दबाकर
हाथों को थोड़ा इधर उधर घुमाकर
ले जाते थे उन्हें सबसे बचाकर
दौड के सब पहुंचते थे दुकान में
खट्टी मीठी गोली खाते थे जुकाम में
घर लौटने पर माँ निहारती थी गौर से
फिर वो डाटकर चीखटी थी बड़े जोर से
हम नाटक करते थे फुटफुट के रोने का
तब एहसास होता था नानीजी के होने का
वो प्यार से समझाकर हम सब को बुलाती
थोड़ा पेड़ से लटके झूले पर झूला झुलाती
और माँ के बचपन के किस्से सुनाती
हम भी फिर हस देते थे खिलखिलाकर
ऐसे ही दिन गुजर जाते थे झिलमिलाकर
बचपन के मिट्टी के वो पुराने किस्से..
फटी जेब से नानाजी के गिरते थे सिक्के
चोरीसे छुपकर हम उठा लेते थे एक एक
जानकर भी वो कहते मेरे पोता पोती बड़े नेक
वो पल सुनहरे और दिन थे अच्छे
हम बड़े चतुर पर नादान थे बच्चे
सिक्को को मुट्ठी में हलकासा दबाकर
हाथों को थोड़ा इधर उधर घुमाकर
ले जाते थे उन्हें सबसे बचाकर
दौड के सब पहुंचते थे दुकान में
खट्टी मीठी गोली खाते थे जुकाम में
घर लौटने पर माँ निहारती थी गौर से
फिर वो डाटकर चीखटी थी बड़े जोर से
हम नाटक करते थे फुटफुट के रोने का
तब एहसास होता था नानीजी के होने का
वो प्यार से समझाकर हम सब को बुलाती
थोड़ा पेड़ से लटके झूले पर झूला झुलाती
और माँ के बचपन के किस्से सुनाती
हम भी फिर हस देते थे खिलखिलाकर
ऐसे ही दिन गुजर जाते थे झिलमिलाकर
बचपन के मिट्टी के वो पुराने किस्से..
- राणी अमोल मोरे
बहुत खुब, बचपन की यादी ताजा हो गई.🤗
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteOld memories, nice
ReplyDeleteबालपणीच्या आठवणींना उजाळा देऊन गेली
ReplyDeleteMissing those days.
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