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Monday, June 22, 2020

कितना बोया..




ऐ मेरे देश के भूमिपुत्र
तेरे कर्म देते है जीवन के सूत्र

सदियों से हल चलाके तूने
भूकों का हल है निकाला
मेहनत करने की तूने
न जाने कौनसी सीखी पाठशाला

मुट्ठीभर बीज बो कर तूने
हरतरफ हरयाली है लायी
दिन रात की मेहनत से तेरे
देश में समृद्धी है आयी

तू क्यूँ सोचे फांसी का फंदा
रब का तू बड़ा ही नेक बंदा
कितना बोया कितना कटाया
बदले में तूने कुछ नही पाया

तू कर ख़ुदको ही सलाम
नही तू किसी समस्या का गुलाम
खड़े रहना हमेशा तान सिना
बहाया तूने अपना खून पसीना

- राणी अमोल मोरे 

1 comment:

  1. अन्नदाता की जय हो

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