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Tuesday, June 16, 2020

बोल तो मै कुछ..



सोचती हूँ, समझती हूँ, सवारती भी हूँ
नई चीजों को अनुभवोंसे सिखती भी हूँ
हाँ मै एक छोटीसी कलम हूँ
जो बोल तो मै कुछ सकती नहीं
बस थोडा लिख देती हूँ

किसी बुद्धिमान इंसान ने कहा है
मै तलवारो से भी तेज हूँ
वो तो बस काट सकती है
मै तो काट और जोड़ भी सकती हूँ
हाँ ये एक अलिखित सच है
जो बोल तो मै कुछ सकती नहीं
बस थोडा लिख देती हूँ

कुछ लोगो को शायद मेरी जरुरत ना लगे
पर मेरे सिवा परिवर्तन नहीं हो सकता
अगर सदियों से मै न चलती
तो इतिहास की कोई कहानी नहीं होती
ये मेरे जीवन की वो दाँस्ता है
जो बोल तो मै कुछ सकती नहीं
बस थोडा लिख देती हूँ

लिखने वाले हजारो हाथ आते है
वक्त की सिमा से वो तो मिट जातें है
लेकिन मेरी लिखावट से उनके विचार
सदियों तक दुनिया में अमर हो जाते है
समय के परे मेरी हैसियत है
जो बोल तो मै कुछ सकती नहीं
बस थोडा लिख देती हूँ

अगर मै चलु तो क्रांति होती है
अगर मै चलु तो जीवन में ज्ञान है
अगर मै रुकू तो अंधकार होता है
अगर मै थम जाऊ तो जीवन थम जाता है
बस यही मेरी कीमत है
जो बोल तो मै कुछ सकती नहीं
बस थोडा लिख देती हूँ

✍ राणी अमोल मोरे 

जो बोल तो मै कुछ सकती नहीं, बस थोडा लिख देती हूँ..

7 comments:

  1. खूपच छान👌👌👍

    ReplyDelete
  2. संध्या धुळे खूपच छान👌👌👍

    ReplyDelete
  3. कलम/लेखनी चं सामर्थ्य खूप छान शब्दांत वर्णन केलंय.

    Keep it up

    ReplyDelete
  4. कलम / लेखणी तर सामर्थ्य खूप छान शब्दात वर्णन केले आहे.

    Keep it up.

    ReplyDelete

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